
शिवगंगा सरोवर में प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगाने से आक्रोश
पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री निर्मल झा मंटू ने कहा: आस्था व धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
प्रशासन का कई निर्णय स्वागत योग्य तो कई निर्णय अंचभित करने वाला
देवघर। शुक्रवार को पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री निर्मल झा मंटू ने एक प्रेस बयान जारी कहा कि आस्था व धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि अगामी दुर्गा पूजा को लेकर देवघर प्रशासन द्वारा पूजा समितियों के साथ एक बैठक पिछले दिनों रखी गई थी। जिसमें कई ऐसे निर्णय लिए गए कई निर्णय स्वागत योग्य है तो कई निर्णय अंचभित करने वाला है। शिवगंगा सरोवर में प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय में उच्च न्यायालय झारखंड के आदेशों की अवहेलना तो दिख ही रही है। साथ ही पूरी तरह से पूजा परंपरा और भक्तों की आस्था को खंडित कर खिलवाड़ करने वाला प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि नवंबर 2015 में झारखंड उच्च न्यायालय के चीप जस्टिस वीरेंद्र सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने जल स्रोतों के अतिक्रमण और प्रदूषण को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को मूर्ति विसर्जन के तुरंत बाद तालाबों, नदियों एवं अन्य जलस्रोतों की साफ सफाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया हुआ है। साथ ही सरकार को कहा गया है कि इस आशय की सूचना अविलंब राज्य के सभी नगर निगम और नगर निकायों को भी भेज दी जाए। झारखंड सरकार को इस आदेश का शक्ति से अनुपालन करने का भी निर्देश है । साथ ही तालाबों और नदियों की साफ सफाई की रिपोर्ट फोटोग्राफी के साथ कोर्ट में प्रस्तुत करने का भी निर्देश है।
पूजा व मूर्ति विसर्जन में पूजा समितियों को प्रशासन को सहयोग करना चाहिए
खंडपीठ ने मौखिक रूप से यह भी कहा है कि मूर्ति विसर्जन का मामला पूरी तरह आस्था से जुड़ा हुआ है, इसलिए किसी भी प्रकार से आस्था के साथ खिलवाड़ ना किया जाए । सरकार जल स्रोतों में मूर्ति विसर्जन को रोक नहीं सकती है । देवघर के शिवगंगा तालाब की अपनी एक पौराणिक और विशेष मान्यता भी है। यहां कई ऐसे बेदी पर पूजित होने वाली माता की प्रतिमा विसर्जन किए जाते हैं, जिनकी मूर्तियां पहले नाव बनाकर शिवगंगा में चारों ओर भ्रमण कराई जाती है। यह परंपरा लगभग 150 वर्षों से लगातार चली आ रही है। ऐसी परंपराओं को खंडित करना निश्चित रूप से प्रशासन और सरकार की गलत मनसा को दिखाता है। देवघर प्रशासन और झारखंड सरकार शिवगंगा तालाब में प्रतिमा विसर्जन होने के बाद साफ सफाई की तुरंत समुचित व्यवस्था बनाये। मुंबई में जैसी व्यवस्था है यहां भी संभव हो सके तो सरकार व प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा। झारखंड सरकार और देवघर प्रशासन अपने दायित्व का निर्वहन करने को छोड़कर हम सनातनियों की आस्था के मामले में उसे खंडित करना चाहती है। जबकि जिला व नगर निगम प्रशासन को जल स्रोतों के अतिक्रमण व प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सालों भर काम करना चाहिए। जितने भी तालाब, पोखरों और नदी, नालों का भूमाफियाओं द्वारा अतिक्रमण कर उन्हें बेच दिया गया है, उस पर कार्यवाही करते हुए उसका जीर्णोद्धार करना चाहिए। दुर्गा पूजा हम सनातनियों का एक महान और विशाल पर्व है। ऐसी खुशी के मौके में ध्वनि विस्तारक यंत्र अथवा डीजे बजाने पर रोक लगाना भी गलत है। आने वाले दुर्गा पूजा में सभी खुशी और सामंजस्य के साथ जिस प्रकार से बरसों से परंपरा निर्वाह करते हुए पूजा और मूर्ति विसर्जन कर रहे हैं, वैसे ही करने देने में पूजा समितियों को प्रशासन को सहयोग करना चाहिए। जिससे सनातनियों की धार्मिक भावना आहत ना हो।









