
📰 वैक्टर जनित रोग नियंत्रण हेतु जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन, निजी चिकित्सकों को सिविल सर्जन ने किया सम्मानित
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देवघर में वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पर जिला स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला संपन्न
देवघर। झारखंड के देवघर जिले में बुधवार को सदर अस्पताल सभागार में वैक्टर जनित रोगों (VBDs) के नियंत्रण से संबंधित जिला स्तरीय एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का उद्देश्य निजी चिकित्सा प्रैक्टिशनर्स को राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत नये दिशा-निर्देशों की जानकारी देना और इन रोगों की रोकथाम में उनकी भूमिका को सशक्त बनाना था।
कार्यशाला की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. जुगल किशोर चौधरी ने की।
उन्होंने सभी निजी चिकित्सकों को विभाग के प्रयासों में सहयोग हेतु प्रोत्साहित किया और कहा कि देवघर को वैक्टर जनित रोग मुक्त बनाने में सार्वजनिक-निजी सहयोग बेहद आवश्यक है।
निजी चिकित्सकों ने लिया सक्रिय भाग
इस कार्यशाला में जिले के लगभग 30 निजी एमबीबीएस चिकित्सक एवं 10 लैब संचालक व लैब टेक्नीशियन (एलटी) शामिल हुए।
सिविल सर्जन ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि जिले में मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफलाइटिस एवं कालाजार जैसे वैक्टर जनित रोगों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।
उन्होंने निजी चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे संदिग्ध रोगियों की समय पर सूचना विभाग को दें, ताकि संक्रमण फैलने से पहले ही रोकथाम की कार्रवाई की जा सके।

विभागीय अधिकारियों ने दी विस्तृत जानकारी
इस अवसर पर जिला बीबीडी पदाधिकारी डॉ. अभय कुमार यादव ने कार्यशाला में उपस्थित सभी चिकित्सकों को
राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) के तहत जारी नए दिशा-निर्देशों की विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इन रोगों की सूचना प्राप्त होते ही जिला प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभावित क्षेत्र में निरोधात्मक कार्रवाई की जाती है — जिसमें फॉगिंग, लार्वा सर्वे, स्रोत नियंत्रण, एवं जनजागरूकता अभियान शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि देवघर जिला में इन बीमारियों को जड़ से समाप्त करने के लिए चिकित्सा समुदाय की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से दिया गया तकनीकी प्रशिक्षण
जिला बीबीडी सलाहकार डॉ. गणेश कुमार यादव ने कार्यशाला में पावर पॉइंट प्रस्तुति (PPT) के माध्यम से
विभिन्न वैक्टर जनित बीमारियों के मच्छरों के जीवन चक्र, संक्रमण के लक्षण, रोग पहचान एवं रेफरल प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि रोगों की पहचान और रिपोर्टिंग में देरी होने से संक्रमण का दायरा बढ़ जाता है, इसलिए प्रत्येक निजी चिकित्सक को रोगी का डेटा समय पर साझा करना चाहिए।
डॉ. यादव ने बताया कि अब जिले में नोटिफाइबल बीमारियों से संबंधित डेटा एक केंद्रीकृत पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है, जिससे नियंत्रण कार्य में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित हो रही है।

उत्कृष्ट सहयोग देने वाले चिकित्सकों को मिला सम्मान
कार्यक्रम के दौरान विभाग को नियमित रूप से वैक्टर जनित रोगों से संबंधित रोगियों की सूचना उपलब्ध कराने और सहयोग करने वाले निजी चिकित्सकों को सिविल सर्जन डॉ. युगल किशोर चौधरी द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
सम्मानित होने वाले चिकित्सकों में शामिल हैं —
डॉ. सिकंदर सिंह, डॉ. डी. तिवारी, डॉ. निशांत चौरसिया, डॉ. आर. एन. प्रसाद, डॉ. गोपाल जी शरण, डॉ. मेजर राजा राम सिंह, डॉ. गौरी शंकर, डॉ. सौरभ साहा, डॉ. सुनील कुमार सिन्हा, डॉ. सुधीर प्रसाद, डॉ. नयन रंजन, डॉ. नीरज सत्यम् तथा
एम्स देवघर के डॉ. बिजित बिस्वास, जिन्हें वैक्टर जनित रोगों पर उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
सिविल सर्जन ने कहा कि ऐसे चिकित्सक विभाग के लिए “फ्रंटलाइन हेल्थ पार्टनर” हैं, जो समय पर रोग पहचान और रिपोर्टिंग कर बड़ी संख्या में संक्रमण को रोकने में योगदान दे रहे हैं।
कार्यक्रम में रही स्वास्थ्य विभाग और निजी क्षेत्र की मजबूत भागीदारी
इस अवसर पर जिला बीबीडी पदाधिकारी डॉ. अभय कुमार यादव, बीबीडी सलाहकार डॉ. गणेश कुमार यादव,
एफएलए रवि सिन्हा, डीईओ कांग्रेस मंडल, पिरामल हेल्थ से श्रवण झा (सीनियर प्रोग्राम लीड),
पीसीबी पिंटू तिवारी, एमपीडब्ल्यू राकेश कुमार, चनेशर रविदास, डेगन यादव सहित
देवघर एवं मधुपुर के कई जाने-माने चिकित्सक, पैथोलॉजी लैब संचालक एवं तकनीशियन उपस्थित रहे।
सभी ने एकमत से कहा कि वैक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए चिकित्सा समुदाय और स्वास्थ्य विभाग के बीच निरंतर संवाद और समन्वय आवश्यक है।
जागरूकता और समय पर रिपोर्टिंग ही है रोकथाम की कुंजी
कार्यशाला के समापन पर सिविल सर्जन डॉ. युगल किशोर चौधरी ने कहा —
> “देवघर को वैक्टर जनित रोग मुक्त बनाना हमारा लक्ष्य है।
इसके लिए सरकारी विभागों के साथ-साथ निजी चिकित्सक, लैब संचालक और आम नागरिकों की भूमिका अहम है।
जागरूकता, स्वच्छता और समय पर रोग सूचना साझा करना ही सबसे प्रभावी उपाय है।”
उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अपील की कि वे अपने-अपने क्लिनिक और लैब में
रोगों से बचाव संबंधी पोस्टर और संदेश प्रदर्शित करें, ताकि आमजन तक सही जानकारी पहुंच सके।
निष्कर्ष :
देवघर जिले में आयोजित यह कार्यशाला स्वास्थ्य विभाग और निजी चिकित्सा समुदाय के बीच
एक मजबूत समन्वय का उदाहरण बनकर उभरी है।
इससे न केवल रोग नियंत्रण कार्यक्रम को गति मिलेगी, बल्कि भविष्य में डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया और अन्य वैक्टर जनित रोगों के खिलाफ
सक्रिय एवं एकजुट प्रयासों को नई दिशा मिलेगी।
📌 लेख सारांश:
देवघर सदर अस्पताल में वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित।
सिविल सर्जन ने निजी चिकित्सकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
डेंगू, मलेरिया, कालाजार जैसे रोगों पर रोकथाम के लिए निजी चिकित्सा संस्थानों से सहयोग का आह्वान।








