गाजे-बाजे के साथ टिकोराडीह ग्रामोत्थान समिति ने किया यज्ञ स्थल पर स्थापित प्रतिमा का विसर्जन

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✅ टिकोराडीह ग्रामोत्थान समिति ने सात दिवसीय शिव शक्ति महायज्ञ के समापन पर गाजे-बाजे के साथ देवी-देवताओं की प्रतिमा का कोढ़ा अहरा में विसर्जन किया। बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए।

 

 

 

 

📰 गाजे-बाजे के साथ टिकोराडीह ग्रामोत्थान समिति ने किया यज्ञ स्थल पर स्थापित प्रतिमा का विसर्जन

देवघर/सारवां। सारवां प्रखंड के टिकोराडीह गांव स्थित प्रसिद्ध लक्खीधाम परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्री श्री 1008 शिव शक्ति महायज्ञ का रविवार को भक्तिमय माहौल में विधिवत समापन हो गया। महायज्ञ के संपन्न होने के बाद ग्रामोत्थान समिति के सदस्यों एवं ग्रामीणों ने यज्ञ स्थल पर स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमा का पारंपरिक विधि-विधान के साथ गाजे-बाजे, नाच-गान और जयकारों के बीच कोढ़ा अहरा में विसर्जन किया। विसर्जन के दौरान पूरा गांव भक्ति, श्रद्धा और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर दिखाई दिया।

 

रविवार को महायज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात से ही गांव में धार्मिक उमंग का विशेष वातावरण था। सोमवार को प्रतिमा विसर्जन के दौरान महिला, पुरुष, युवा, बच्चे और बुजुर्गों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। लोग नाचते, झूमते और “हर हर महादेव”, “जय माता दी” के जयकारों के साथ शोभा यात्रा में शामिल हुए। पूरे कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों में उत्साह और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला।

 

मौके पर महायज्ञ में मुख्य यजमान के रूप में अजीत ठाकुर शास्त्री व टिकोराडीह ग्रामोत्थान समिति के अध्यक्ष सुबल किशोर ठाकुर, कोषाध्यक्ष अवनिकांत ठाकुर, शिवानंद ठाकुर, चंद्रशेखर ठाकुर, संजीव ठाकुर, ओंकार ठाकुर, सुशील ठाकुर, प्रदीप ठाकुर, अशोक ठाकुर, भूतनाथ ठाकुर, मंटू ठाकुर, कुणाल ठाकुर, तुषार ठाकुर, सुभाष ठाकुर, अनंत ठाकुर, प्रदीप झा, बच्चू झा सहित गांव के अधिकांश लोग विसर्जन यात्रा में मौजूद रहे। इन सभी के सम्मिलित प्रयास से महायज्ञ से लेकर प्रतिमा विसर्जन तक का पूरा कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

 

महायज्ञ के आयोजन की तैयारी पिछले कई सप्ताह से लगातार चल रही थी। ग्रामीणों एवं समिति के सदस्यों ने धार्मिक आयोजन को सफल बनाने हेतु हर स्तर पर समर्पित भाव से योगदान दिया। यज्ञ स्थल की सजावट से लेकर भंडारा, कथा-प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सुरक्षा व्यवस्था तक सभी कार्यों में समिति ने पूरी जिम्मेदारी निभाई। इसी कारण कार्यक्रम के समापन पर समिति के सदस्यों ने राहत की सांस ली और एक-दूसरे को बधाई दी।

 

प्रतिमा विसर्जन के दौरान शोभा यात्रा गांव के मुख्य मार्गों से होते हुए कोढ़ा अहरा तक पहुंची। यात्रा में पारंपरिक वाद्ययंत्रों की मनमोहक धुन ने पूरे माहौल को धार्मिक रंग में रंग दियामहिलाओं ने मंगल गीत गाए, युवाओं ने ढोल-नगाड़ों की धुन पर नृत्य किया और बुजुर्गों ने शांत भाव से पूजा-पाठ के मंत्रोच्चारण में सहभागिता निभाई। अहरा पहुंचने पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद देवी-देवताओं की प्रतिमा का जल में विसर्जन किया गया।

 

ग्रामीणों ने बताया कि महायज्ञ के आयोजन से गांव में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार हुआ है। सात दिनों तक चली कथा, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों ने लोगों को आध्यात्मिक रूप से जोड़ने का काम किया। गांव के युवाओं ने भी कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे सामाजिक एकजुटता और सहयोग की भावना और मजबूत हुई है।

 

विसर्जन के बाद ग्रामीणों और समिति सदस्यों ने प्रसाद ग्रहण किया और एक-दूसरे को सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के सफल समापन के लिए ग्रामीणों ने ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

 

इस तरह टिकोराडीह गांव में सात दिनों तक धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक वातावरण का सुंदर संगम देखने को मिला। प्रतिमा विसर्जन के साथ ही ग्रामीणों ने नई ऊर्जा और सकारात्मक भावना के साथ अपने दैनिक कार्यों की ओर लौटने की बात कही।

Baba Wani
Author: Baba Wani

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