
शहीदों के मजार पर हर वर्ष लगेगा मेला…
शहीद अग्नि वीर जवान नीरज के परिजनों के साथ सायें की तरह खड़ी है भारतीय सेना
सियाचिन से पार्थिव शरीर के साथ पहुंचे सेना के साथी निभा रहे हैं परिवार की भूमिका
सुनील झा
देवघर। किसी ने सच्च ही कहा है शहीदों के मजार पर हर वर्ष लगेंगे मेले…हर कोई हमारे भारतीय सेना को सम्मान व गर्व के साथ देखाता है। देशवासियों की सेवा के लिए सेना 24 घंटे सीमा की रक्षा करते हैं। ऐसे ही भारतीय सेना को विश्व की प्रमुख शक्तिशाली सेना में से एक माना गया है। भारतीय सेना लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में-7 डिग्री के तापमान में रहकर मां भारती की सेवा में सीमा की करते हैं। हमारे देश के भारतीय सैनिकों को वीर सपूत नहीं कहा गया है। इसी सिलसिले में आज से 4 दिन पूर्व लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन होने से ड्यूटी पर मुस्तैद देवघर जिले के मधेपुर अनुमंडल के कजरा टंडेरी गांव निवासी विजय चौधरी के प्रथम सुपुत्र 24 वर्षीय नीरज कुमार चौधरी मां भारती की सेवा करते हुए अपने को भारत मां की गोद में समर्पित कर दिया। कल गुरुवार को नीरज का अंतिम संस्कार पतरो नदी के कजरा चंदेरी श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया। भारतीय सेना की ओर से तमाम प्रक्रिया पूरी करने के बाद उसके परिवार के लोग को पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए सौंपा। आज भी भारतीय सेना के कजरा गांव में परिजनों के साथ खड़ी है। सियाचिन से नीरज के पार्थिव शरीर के साथ पहुंचे यूनिट के साथी तपस जी ने परिवार के दुःख को कम करने का प्रयास कर रहे। नीरज के परिवार को अपना परिवार समझ रही है। उन्होंने इंडियन पंच से बातचीत करते हुए कहा कि नीरज मेरे यूनिट का साथी था। मैं सियाचिन से उसके पार्थिव शरीर के साथ उसके घर पहुंचा हूं। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना कभी भी नीरज सहित अन्य सैनिकों के परिवार को दूसरा नहीं समझती है। भारतीय सेना हर वक्त अग्नि वीर जवान नीरज के परिजनों के साथ खड़ी है। फिलहाल मैं नीरज के परिवार के दुःख को कम करने व कागजी प्रक्रिया पूरी कराने के बाद ही आदेश मिलने पर सियाचिन लौटूंगा। शुक्रवार को दोपहर 2 बजे के आसपास जब यह संवाददाता शहीद नीरज के कजरा पहुंचा तो घर के बाहर डंडे पर तिरंगा झंडा दिवाल पर तिरंगा लटका है, सादे लिबास में सैनिक के अधिकारी व नीरज के पिता विजय चौधरी व भाई सोनू कुमार चौधरी खड़े थे। माहौल गमगीन था, वातावरण शांत था और हर कोई उदास था। घटना दुखदाई है, नीरज वीर जवान था और हर वक्त अनुशासन में रखकर अपना कर्तव्य निभाता था। वही परिजन बताते हैं कि सियाचिन ग्लेशियर में 4 महीने के लिए उसकी ड्यूटी लगी थी। जिसमें से लगभग दो माह वह पूरा कर चुका था। शेष 2 माह की ड्यूटी पूरी कर वह दिसंबर में छुट्टी पर अपने गांव आने वाला था। लेकिन अचानक हुआ भारत माता का वीर सपूत भारत माता की गोद में समा गया और कजरा गांव को अमर कर गया। आज नीरज हम सबों के बीच नहीं है, लेकिन उसके नाम से गांव की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर हुई है। हम सबों को गर्व की भारत मां का सच्चा सबूत सीमा की रक्षा करते हुए हम सभा को छोड़कर भारत मां की गोद में समां गया। जय हिंद…









