
झारखंड के दशरथ मांझी: समीर अंसारी की जल और पर्यावरण क्रांति को लोग करते हैं सम्मान
भारत सहित विश्व के 17 देशों पर मंडरा रहा है गंभीर जल संकट का खतरा शीर्षक समाचार ने समीर इस ओर खिंचा
देवघर। झारखंड के देवघर नगर निगम क्षेत्र के गुलीपथार मोहल्ले से एक ऐसे दूरदर्शी पर्यावरण मित्र और जल प्रहरी उभरे हैं, जिन्हें लोग झारखंड का दशरथ मांझी कहते हैं वह हैं समीर अंसारी। अपनी दूरगामी सोच के साथ समीर ने दो दशक पहले ही आने वाले भयंकर जल संकट और प्राणवायु संकट को भांप लिया था और तब से वे लगातार जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। यह सब वर्ष 2005 में एक समाचार पत्र में प्रकाशित एक दिल दहला देने वाली खबर से शुरू हुआ, जिसका शीर्षक था भारत सहित विश्व के 17 देशों पर मंडरा रहा है गंभीर जल संकट का खतरा। इस खबर को आत्मसात करते हुए समीर अंसारी ने प्रण लिया कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण करना है तो करना है। उन्होंने इसकी शुरुआत अपने घर से की, फिर अपने मोहल्ले, वार्ड, शहरी क्षेत्र, जिला स्तर पर, और फिर पूरे राज्य में। जल्द ही उनकी मुहिम पड़ोसी राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक फैल गई। पानी बचाओ अभियान समिति गुलीपथार के बैनर तले चलाए जा रहे इस अभियान से आज देश भर से लगभग 15 हजार लोग जुड़ चुके हैं। समीर अंसारी ने लोगों को जल और पेड़-पौधों की महत्ता समझाने के लिए विभिन्न तरह के आयोजन किए हैं। नुक्कड़ नाटक, पंपलेट, बैनर, पोस्टर और पदयात्रा के माध्यम से वे लगातार जागरूकता फैला रहे हैं। इसके अलावा वे नदी संरक्षण, तालाब संरक्षण और पॉलिथीन मुक्त भारत पर भी काम कर रहे हैं। यह तमाम कार्य उनके अथक संघर्ष का परिणाम है। गौरतलब बात यह है कि उन्होंने यह सब बगैर किसी बाहरी सहयोग के किया है। अब तक वे चार लाख से अधिक पंपलेट, बैनर और पोस्ट के माध्यम से लोगों को जागरूक कर चुके हैं और यह भविष्य में भी निर्बाध रूप से जारी रहेगा। शुरुआत में लोगों ने उनके काम को नहीं समझा लेकिन समीर न रुके, न थके और न ही हारे। उन्हें बस यह लग रहा था कि यदि पर्यावरण के प्रति लोगों को आज नहीं जगाया तो भविष्य बहुत भयावह होगा। वर्तमान समय में वे मृतप्राय हो चुकी डढ़वा नदी को बचाने के लिए पदयात्रा कार्यक्रम चला रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण हेतु पौधारोपण और पेड़ों का संरक्षण कार्य भी निरंतर जारी है। समीर अंसारी की एक और अद्भुत पहल है देवघर नगर निगम क्षेत्र की मृत अवस्था में पहुंच चुकी डढ़वा नदी को पुनः जीवित और हरा-भरा करना। उन्होंने नदी तट पर बंजर पड़ी ज़मीन पर एक तालाब की खुदाई की, जहां बारिश का मीठा पानी जो व्यर्थ नदी में बह जाता था उसे सहेज कर रखा जा रहा है। इससे आसपास के मोहल्ले का जलस्तर ऊपर आया है और वातावरण शुद्ध हुआ है। इस तालाब में प्रत्येक वर्ष करोड़ों लीटर वर्षा जल का संरक्षण होता है। उनके अथक संघर्ष से विलुप्त हो चुकी पक्षियां भी अब फिर से नदी तट पर लौट आई हैं, जिससे पूरा इलाका पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार रहता है और एक आकर्षक वातावरण बन गया है। समीर अंसारी के इस निरंतर प्रयास को देखते हुए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने उन्हें 2022 में अंतर्राष्ट्रीय जल प्रहरी सम्मान से सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हें पर्यावरण सेवी सम्मान रांची, पर्यावरण मित्र सम्मान प्रयागराज में शंकराचार्य जी महाराज के हाथों, वाटर मैन ऑफ झारखंड, झारखंड का दशरथ मांझी, रियल हीरो, जल योद्धा, डॉक्टर कलाम यूथ रत्न सम्मान जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। समीर अंसारी का अंतिम लक्ष्य एक-एक व्यक्ति को जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जगाना है ताकि निकट भविष्य में जल संकट को लेकर होने वाले तीसरे विश्व युद्ध की परिकल्पना सिर्फ़ एक कहावत बन कर रह जाए। उनका संकल्प है कि हम सभी आने वाले भविष्य में पेड़-पौधे वाले, पानी वाले और हवादार-पानीदार कहलाएं और जब तक ऐसा न हो, तब तक उनका प्रयास निरंतर जारी रहेगा। धरती पर प्रकृति को बचाने के लिए वे कृतसंकल्पित हैं।









