आदिवासी बहुल गांव बेदिया में थमने का नाम नहीं ले रहा है डायरिया

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आदिवासी बहुल गांव बेदिया में थमने का नाम नहीं ले रहा है डायरिया 

पुनः एक ही परिवार के दो लोग डायरिया से आक्रांत, पूर्व में इस परिवार के एक सदस्य की हो चुकी है मौत 

बीमार एक पुरुष व एक महिला का जरमुंडी सीएचसी में हो रहा है इलाज 

पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने समुचित इलाज व रोकथाम की व्यवस्था करने का किया आग्रह 

देवघर। दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड के बासुकीनाथ मेला क्षेत्र से सटे आदिवासी बहुल गांव बेदिया में डायरिया थमने का नाम नहीं ले रहा है और ग्रामीणों पर कहर बरपा दिया है। पिछले दस दिनों में इस बीमारी से गांव में चार लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि कई अन्य बीमार हैं। इन्हीं में से पिछले दिनों बेदिया गांव में डायरिया से बबलू किस्कू की मौत हों गई थी। शनिवार को उनके ही परिवार के दो सदस्य डायरिया का शिकार हो गए। जिनमें महालाल किस्कू पिता बुधन किस्कू व शकुंतला मुर्मू, पति सुनील किस्कू शामिल हैं। महलाल किस्कू बबलू किस्कू के भतीजा लगता है और शकुंतला मुर्मू महालाल किस्कू की पुतोहु लगती है। दोनों को ईलाज के लिए सामूदायिक स्वास्थ केन्द्र जरमुण्डी में भर्ती किया गया है।

इसकी खबर लगते ही पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने मामले को गंभीरता से लिया और अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर इसको लेकर पोस्ट किया। साथ ही चिकित्सक को समुचित इलाज की व्यवस्था करने को कहा और टीम बादल के सदस्यों को हर संभव सहायता करने का निर्देश दिया। इसके पूर्व उन्होंने ने गांव में डायरिया के तांडव से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी, उपायुक्त व सिविल सर्जन दुमका को मामले की जानकारी देते हुए समुचित इलाज की व्यवस्था व डायरिया रोग रोकथाम की दिशा में आवश्यक कदम उठाने का आग्रह कर चुके हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि पीड़ित परिवारों को शीघ्र आर्थिक सहायता और उचित मुआवजा दिया जाए। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में डायरिया के कारणों का पता लगाने के लिए पानी के स्रोतों की भी जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक तौर पर संक्रमण फैलने की वजह दूषित पेयजल को माना जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से डायरिया रोग को काबू करने का हर संभव प्रयास कर रही है। बता दें कि गांव में सबसे पहले 7 जुलाई को संगीता मरांडी व 10 जुलाई को उनके पुत्र अरविंद सोरेन ने भी दम तोड़ दिया। जबकि 17 जुलाई को लखीराम की पत्नी और बबलू किस्को की मौत डायरिया बीमारी से हो गई। यह इलाका बासुकीनाथ श्रावणी मेला क्षेत्र के पास है, ऐसे में यदि डायरिया का संक्रमण फैलता है तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है।

Baba Wani
Author: Baba Wani

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