गुरु नानक जयंती 2025: प्रकाश पर्व पर रांची, देवघर और हजारीबाग में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब — देशभर के गुरुद्वारे सजे दीपों से, लंगर में झलकी सेवा की परंपरा

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

गुरु नानक जयंती 2025: प्रकाश पर्व पर रांची, देवघर और हजारीबाग में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब — देशभर के गुरुद्वारे सजे दीपों से, लंगर में झलकी सेवा की परंपरा

 

रांची/देवघर/हजारीबाग। सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती पूरे देशभर में आज बड़े ही श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाई जा रही है। झारखंड के प्रमुख शहरों — रांची, देवघर और हजारीबाग सहित देशभर के गुरुद्वारों में प्रकाश पर्व की छटा देखते ही बन रही है। हर ओर दीपों की रौशनी, भजन-कीर्तन की मधुर ध्वनि और लंगर की सेवा में जुटे श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आ रही है।

 

 

 

गुरु नानक जयंती का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

 

गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन सन् 1469 ई. में हुआ था। उनका जन्मस्थान ननकाना साहिब (अब पाकिस्तान में स्थित) है। उन्होंने अपने जीवन में “एक ओंकार सतनाम” के सिद्धांत को स्थापित किया, जो ईश्वर की एकता और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश देता है। गुरु नानक देव जी ने भेदभाव, जातिवाद, पाखंड और अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाई और समानता, करुणा, सेवा और सत्य का संदेश दिया।

 

उनके उपदेशों ने सिख धर्म की नींव रखी और उन्होंने लोगों को बताया कि इंसान की सच्ची पूजा उसकी सेवा और सच्चाई में है। इसी वजह से गुरु नानक जयंती केवल सिख समुदाय का नहीं, बल्कि मानवता का पर्व माना जाता है।

 

 

 

रांची में गुरु नानक जयंती की भव्य तैयारियाँ

 

राजधानी रांची के सभी गुरुद्वारों में आज से ही रोशनी और सजावट की गई है। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा (मेन रोड), हरमू गुरुद्वारा, लालपुर गुरुद्वारा और हातमा गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है।

 

सुबह से ही अखंड पाठ का समापन और नगर कीर्तन निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल हुए। कीर्तन दलों ने गुरु वाणी का गायन किया और शहर की गलियों में “वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह” के जयकारे गूंज उठे।

 

शाम में दीयों से गुरुद्वारों को सजाया गया और श्रद्धालुओं के लिए लंगर का विशेष आयोजन किया गया। रांची के गुरुद्वारों में विशेष “गुरु का लंगर” के माध्यम से हजारों लोगों को भोजन कराया जा रहा है।

 

 

 

देवघर में भी भक्ति और सेवा का माहौल

 

बैद्यनाथधाम देवघर में भी गुरु नानक जयंती का उल्लास छाया हुआ है। यहां के सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारा रोड स्थित श्री गुरु सिंह सभा में सुबह 4 बजे अमृत वेले दीवान साहिब का आयोजन किया गया, जिसमें संगत ने नाम-सिमरन और भजन-कीर्तन में भाग लिया।

 

 

 

हजारीबाग में भी निकला नगर कीर्तन, बच्चों ने दी सांस्कृतिक प्रस्तुति

 

हजारीबाग शहर के गुरुद्वारा रोड, सदर गुरुद्वारा और कदमा गुरुद्वारा में आज का दिन उत्सव में बदल गया। सुबह-सुबह गुरु ग्रंथ साहिब जी के पाठ के साथ आरंभ हुआ कार्यक्रम दोपहर तक चलता रहा।

 

इसके बाद नगर कीर्तन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। बच्चों ने गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़ी झांकियों और कविताओं के माध्यम से उनके उपदेशों को प्रस्तुत किया।

 

सांझ की आरती में दीयों की रोशनी से पूरा परिसर जगमगा उठा। श्रद्धालु “सतनाम श्री वाहे गुरु” का जाप करते हुए गुरु जी को नमन करते रहे।

 

 

 

देशभर के गुरुद्वारों में जगमगाया प्रकाश पर्व

 

भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे सिख समुदाय ने भी गुरु नानक जयंती को बड़े ही भव्य तरीके से मनाया।

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर, दिल्ली के बंगला साहिब, पटना साहिब, नांदेड़ के हज़ूर साहिब और हरिद्वार के गुरुद्वारे में आज लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है।

 

रात में दीयों, मोमबत्तियों और लाइटों से हर गुरुद्वारा जगमगा रहा है। गुरबाणी के मधुर सुरों में भक्तों ने गुरु जी के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की।

 

स्वर्ण मंदिर में सजावट इतनी मनमोहक है कि हर कोना आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा प्रतीत हो रहा है। श्रद्धालु सरोवर के किनारे बैठकर ध्यान और प्रार्थना में लीन हैं।

 

 

गुरु नानक देव जी के उपदेश आज भी प्रासंगिक

 

गुरु नानक देव जी के उपदेश आज भी आधुनिक समाज के लिए उतने ही सार्थक हैं जितने 500 वर्ष पहले थे। उन्होंने कहा था —

 

> “ना कोई हिंदू, ना कोई मुसलमान — सब एक हैं।”

 

 

उनका संदेश मानवता को जोड़ने वाला है। उन्होंने यह सिखाया कि सच्चा धर्म किसी रीति-रिवाज में नहीं, बल्कि सत्य बोलने, दूसरों की सेवा करने और ईमानदारी से जीवन जीने में है।

 

उनके तीन मुख्य सिद्धांत —

 

1. नाम जपना (ईश्वर का स्मरण),

 

 

2. किरत करना (ईमानदारी से श्रम),

 

 

3. वंड छकना (दूसरों के साथ बांटना) —

आज भी समाज में नैतिकता, समानता और भाईचारे की प्रेरणा देते हैं।

 

 

 

लंगर: सेवा और समानता की मिसाल

 

गुरु नानक देव जी की सबसे बड़ी देन “लंगर परंपरा” है, जो समानता और सेवा का प्रतीक है। इसमें धर्म, जाति या वर्ग का कोई भेदभाव नहीं होता। हर व्यक्ति एक ही पंक्ति में बैठकर प्रसाद ग्रहण करता है।

 

आज भी देशभर के गुरुद्वारों में लाखों लोग लंगर में शामिल होते हैं — कोई अमीर-गरीब नहीं, सब समान। यही गुरु नानक देव जी की सच्ची शिक्षाओं का परिचायक है।

 

 

 

गुरु नानक देव जी का संदेश: मानवता ही सर्वोच्च धर्म

 

गुरु नानक देव जी ने कहा —

 

> “धरती मां है, जल पिता है, और समस्त जीव ईश्वर की संतान हैं।”

 

 

 

उनकी शिक्षाएँ पर्यावरण, समानता, करुणा और मानवता के मूल सिद्धांतों पर आधारित हैं। आज जब दुनिया भौतिकता और विभाजन की ओर बढ़ रही है, गुरु नानक देव जी के संदेश हमें शांति, प्रेम और एकता का मार्ग दिखाते हैं।

 

 

निष्कर्ष: भक्ति, सेवा और प्रेम का प्रतीक प्रकाश पर्व

 

गुरु नानक जयंती का यह प्रकाश पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संदेश है — अंधकार पर प्रकाश की विजय का, नफरत पर प्रेम की जीत का।

 

रांची, देवघर, हजारीबाग सहित देशभर में मनाया जा रहा यह पर्व हमें याद दिलाता है कि गुरु नानक देव जी के बताए मार्ग पर चलना ही सच्चे जीवन का अर्थ है —

सेवा करो, सत्य बोलो, और मानवता की रक्षा करो।

 

 

गुरु नानक जयंती 2025, गुरु नानक देव जी, गुरु नानक की 556वीं जयंती, प्रकाश पर्व 2025, रांची गुरुद्वारा, देवघर, हजारीबाग सिख समुदाय, लंगर परंपरा, गुरु नानक संदेश, गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, अमृतसर स्वर्ण मंदिर, गुरु नानक उपदेश, Sikh Festival 2025, Prakash Parv Celebration

Baba Wani
Author: Baba Wani

Leave a Comment

और पढ़ें