झारखंड में औद्योगिकरण विकास एवं रोजगार की असीम संभावनाएं
सांवरमल अग्रवाल
रांची। झारखंड वन संपदा खनिज संपदा कोयला अभ्रक लोह अयस्क यूरेनियम सहित अन्य खनिज प्रत्यूर मात्रा में उपलब्ध है यहां पर औद्योगीकरण इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ वन्य प्राणी अभ्यारण वन संपदा पर आधारित लघु एवं मध्यम उद्योग के साथ ही भौगोलिक परिस्थितियों की मौजूद हैं इस लिहाज से झारखंड मेंऔद्योगीकरण कर के प्रौद्योगिकरण के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है, इस से यहां के राजस्व में वृद्धि हो सकती है। ताकि उन जिलों में विकास के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा हो सके जिससे यहां से रोजगार की तलाश में हो रहे पलायन रख सके इसके साथ राज्य में सीसीएल बीसीसीएल बोकारो इस्पात उद्योग जमशेदपुर स्थित टाटा उत्पादन उद्योग अन्य विभिन्न प्रकार विभिन्न स्तर पर डैमो के कारण विस्थापित ग्रामीणों को नौकरी एवं रोजगार देने में सहायता मिल सकती है मेरी दृष्टि से हजारीबाग कोडरमा रामगढ़ गिरिडीह पलामू पूर्वी पश्चिमी सिंहभूम में विभिन्न खनिज आधारित लघु मध्यम उद्योगों की स्थापना लाभदायक हो सकती है तथा रोजगार के अवसर पैदा किया जा सकते हैं और आर्थिक आय भी राज्य को प्राप्त हो सकती है।
हजारीबाग-इस जिले में बॉक्साइट सिसा चूना पत्थर फायर क्ले ग्रेनाइट कोयला अभ्रक जैसे खनिज पदार्थ बहुतायत है। साथ-साथ प्राकृतिक वन संपदा का भी आकर्षण है यहां कोयला आधारित उद्योग लगायें जा सकते हैं। साथ ही वन्य जीव अभ्यारण की स्थापना वन संपदा पर आधारित लघु मध्यम उद्योग लगाकर रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं।
कोडरमा एवं गिरिडीह- अभ्रक के उत्पादन के क्षेत्र में इन दोनों जिलों को महत्वपूर्ण स्थान राज्य में है कोडरमा में बॉक्साइट भी पाया जाता है गिरिडीह कोयला उत्पादन के क्षेत्र में भी महत्व भूमिका रखता है उद्योग की के विकास की असीम संभावनाओं को अपनी कोख में छुपा कर रखने वाले दोनों जिलों में उग्रवाद के कारण विकास थमसा गया है आधारभूत संरचनाओं का अभाव है गिरिडीह में विश्व विख्यात जैन तीर्थ स्थल पारसनाथ की पहाड़ी है यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी प्रमुख है यहां पर विकास कार्यों को युद्ध स्तर में चलने की जरूरत है जिससे यहां रहने वालों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और लोगों को रोजगार मिल सकेगा फायदा परिणामता है उग्रवाद की समस्या पर भी काबू हो सकेगा।
रामगढ़– यह जिला पूर्व से ही कोयला क्षेत्र के नाम पर अपनी पहचान बन चुका है यहां सीसीएल के द्वारा कोयला उत्पादन वासियों के माध्यम से कोयला दोहन पतरातु थर्मल पावर स्टेशन रेलवे के कनेक्टिविटी आदि उपलब्ध है यहां कोयला आधारित उद्योग की स्थापना की जा सकती है विस्थापन की समस्याएं भी यहां एक बड़ी है इस क्षेत्र में कोयला सीमेंट उद्योगों के विशेषज्ञों की टीम से विचार विमर्श कर के कोयला आधारित उद्योग लगायें जाने पर एक विशेष कार्य योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता है, जिस का लाभ झारखंड राज्य को प्राप्त होगा। उद्योग के साथ ही लघु एवं मध्यम की द्वारा सहयोग लेने की और विचार करने की आवश्यकता है यहां पर मां छिन्मस्तिका का दर्शन मंदिर शक्तिपीठ है पतरातू घाटी पर्यटन इन दिनों पूरे राज्य में ख्याती प्राप्त कर चुका है यहां पर पर सीने कलाकारों का आकर्षण बड़ा है इस दिशा में फिल्म निर्माण की योजना के तहत सुविधाओ का विकास बहुत सार्थक हो सकता है।
पलामू– झारखंड राज्य का क्षेत्र भी अभ्रक उत्पादन की दृष्टि से विश्व में अपना स्थान रखता है यहां लोहा उत्पादन होता है इसके उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता है यहां बेतला का विशाल वन्य प्राणी अभ्यारण है यहां पर पर्यटन शहरीकरण एवं औद्योगीकरण के अपार संभावनाएं हैं इस और सरकार को गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।
सिंहभूम– झारखंड के पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम में यूरेनियम तांबा चांदी सोना कोयला लोह अयस्क बहुत पाया जाता है। खनिजों की गुणवत्ता अच्छी है श्रेणी की है वन संपदा की दृष्टि से यह क्षेत्र काफी धनी है यहां पर टाटा में जमशेदजी टाटा का इस्पात उद्योग आजादी के पूर्व सही है फिर भी विकास की गति मध्यम है अवसर की कमी के कारण बेरोजगारी बेशुमार है रोजगार के भाव में पलायन के करते हैं यहां के लोग बहुत पीड़ित रहते हैं विस्थापन भी एक बडा मुद्दा है यदि सरकार योजना व तरीके से विकास की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर एक रोड मैप तैयार करके कार्य प्रारंभ किया जाए यहां उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर एवं कार्य योजना बनाकर किया जाए तो इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार तो मिलेगा वही साथ ही साथ राज्य में प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होगी। राज्य के विकास में जहां मे जहां एक और व्यवस्थाओं का अभाव है तो वहीं दूसरी ओर विकास में सबसे बड़ी रुकावट का मुख्य कारण यहां का विस्थापन है विभिन्न योजनाओं में विस्थापन बड़ी संख्या में हुआ है विस्थापित हुए लोगों का समायोजन एवं उनके रोजगार की व्यवस्था की ओर भी आज ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही साथ राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देकर सड़कों के कनेक्टिविटी गांव-गांव तक बढ़कर तथा खेतिहर मजदूर और जो भी व्यक्तिगत घरेलू उत्पाद वन संपदा पर आधारित लघु एवं मध्यम उद्योग सू आय के साधन है इनको बाजार उपलब्ध कराने की आवश्यकता है इन सारे कार्यों पर अगर ईमानदारी से सरकार और सरकार में विकास कार्यों पर ध्यान देने वाले अफसर शाही मिलकर जन सहयोग के माध्यम से कदम बढ़ाने का प्रयास करें तो इस राज्य का विकास हर संभव किया जा सकता है साथ ही साथ इस और भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि हम अपने राज्य के निवासियों पर जबरन कानून का डंडा चला कर उनकी भावनाओं को आहत कर जबरन के स्थान पर सार्थक प्रयास पर विशेष ध्यान देते हुए आवश्यकता है तथा जनता की भावनाओं को प्यार और मोहब्बत से राज्य के विकास में सहभागी बने के मंत्र को उजागर कर और कार्य योजना और कार्य योजना बनाकर अगर ध्यान दिया जाए तो झारखंड आज पूरे देश में एक नंबर का राजस्व देने वाला और विकसित राज्य खड़ा हो सकता है केवल और केवल इच्छा शक्ति सहयोग और सहभागिता को प्राथमिकता दी जाए तो कोई भी कार्य हम पूरा करने में सफल हो सकेंगे और राज्य विकास की गति की ओर आगे बढ़ने लगेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, झारखंड प्रदेश अग्रवाल सम्मेलन के राज्य उपाध्यक्ष व भाजपा झारखंड प्रदेश पूर्व मीडिया प्रभारी हैं।)
