
संत शिरोमणि तुलसीदास व मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनी
भारत विकास परिषद बैद्यनाथ धाम शाखा द्वारा परिचर्चा का आयोजन
देवघर। संत शिरोमणि तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर भारत विकास परिषद बैद्यनाथ धाम शाखा द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डाॅ रंजीत बरनवाल ने तुलसीदास के कृतित्व और व्यक्तित्व को प्रकाशित करते हुए साहित्यिक, सामाजिक, धार्मिक अवदानों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा रामचरितमानस की प्रासंगिकता सदैव अक्षुण्ण रहेगी और समाज व राष्ट्र को सतत दिशाओं देती रहेगी। उत्तम साह ने कहा कि रामचरितमानस का अध्ययन करना मनुष्य जीवन की पी एच डी करना है। पूर्व प्रांतीय अधिकारी प्रभात चरण मिश्र ने भी आधुनिक परिप्रेक्ष्य में रामचरित मानस की प्रासंगिकता पर अपने वक्तव्य दिया। रामेश्वर मोदी ने उनके प्रति अपनी भक्ति निवेदित करते हुए रामचरितमानस के अध्ययन पर बल दिया। चंचल कोठारी ने रामचरितमानस के सुंदरकांड और किषकिंधा काण्ड की विशेषताओं को बताया। गौरव शंकर प्रेमचंद की विभिन्न कहानियों में व्यक्त मनोविज्ञान की चर्चा की। इस क्रम में कफन और नमक आ दारोगा कहानी को रेखांकित किया। डाॅ अरविंद कुमार झा ने अंग्रेजी साहित्य के महान नाटककार विलियम सेक्सपियर और उपन्यासकार चार्ल्स डिकेन्स की रचनाओं और तुलसीदास जी एवम मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं का बड़े ही रोचक और तुलनात्मक प्रस्तुतिकरण किया। उन्होंने प्रेमचन्द के उपन्यासों की चर्चा करते हुए बताया कि प्रेमचंद की लेखनी से डिकेन्स किस हद तक प्रभावित दिखाई देते हैं। उन्होंने तुलसीदास को सबसे राष्ट्र नायक के रूप में देखा। मुख्य अतिथि डाॅ यूएस शरण ने काफी रोचक और ज्ञानवर्धक तथ्यों को उद्धाटित करते हुए उसकी प्रस्तुत की। उन्होंने बड़े कवि के रूप में तुलसीदास के व्यक्तित्व को प्रकाशित किया और उनके आदर्शों को जीवन में आत्मसात करने की बात कही। मंच संचालन डाॅ राखी रानी अध्यक्ष भारत विकास परिषद, बैद्यनाथ धाम शाखा द्वारा किया गया।









