
नौ दिवसीय संगीतमय राम कथा का सातवें दिन
मतंग ऋषि ने शबरी को राम मंत्र और अपने आश्रम में शरण दिया: कपिल भाई
देवघर। स्थानीय विलियम्स टाउन में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय राम कथा के सातवें दिन नवधा भक्ति प्रसंग पर कथावाचक कपिल भाई ने कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि शबरी के कुरूपता के कारण उनके पति ने उन्हें त्याग दिया। मतंग ऋषि ने शबरी को राम मंत्र दिया और अपने आश्रम में शरण दिया। देहांत से पूर्व मतंग ऋषि ने शबरी से कहा एक राम ही अपना है। संसारी लोग स्वार्थी होते हैं। राम की भक्ति करना एक दिन प्रभु राम तुम्हारे कुटिया में आकर दर्शन देंगे। वह शुभ दिन आया जब प्रभु राम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ शबरी की कुटिया पधारे भगवान राम ने उन्हें नवधा भक्ति का ज्ञान दिया। पहले भक्ति सत्संग, दूसरी भक्ति राम कथा से प्रेम, तीसरी भक्ति गुरु भक्ति, चौथी भक्ति राम का गुणगान, पांचवी भक्ति राम नाम भजन, छठी भक्ति मनुष्य का चरित्र निर्माण, सातवीं भक्ति जगत राम में देखना, आठवीं भक्ति जीवन में संतोष धारण करना, नवमी भक्ति है ईश्वर पर भरोसा करते हुए हर्ष विषाद से मुक्त रहना है। कथावाचक कपिल भाई ने शुक्रवार को कहा कि हनुमान जी का लंका जाने से रावण वध तक की कथा कही। हनुमान जी समुद्र लांघकर लंका जाते हैं। अशोक वाटिका में मां जानकी को मुद्रिका देते हैं। उनका आशीष मिलता है उनके बाद जब रावण उनके पूछ में आग़ लगता है तो हनुमान जी लंका दहन कर देते हैं। फिर वापस आकर प्रभु राम को सिया सुधि बताते हैं। विभीषण की रावण के समक्ष समझते हैं कि प्रभु राम व्यापक ब्रह्म है उनसे शत्रुता त्याग कर जानकी जी को वापस करते हैं। तब रावण उन पर चरन प्रहार करता है। विभीषण जी दुखी होकर लंका त्याग कर श्री राम के शरण में जाते हैं। जिन्हें शरणागत मिल जाता है। प्रभु राम समुद्र से मार्ग मांगते हैं नहीं देने पर अग्निबाण से उसे सुखा देने की बात कहते हैं। समुद्र उन्हें नल नील देव भाई को बुलाकर सेतु निर्माण की सलाह देते हैं। प्रभु राम वानर भालू सेवा के साथ लंका में प्रवेश करते हैं। मेघनाथ शक्ति बाण से लक्ष्मण को मूर्छित कर देते हैं। जिसे हनुमान जी संजीवनी बूटी लाकर मूर्छा मुक्त करते हैं। प्रभु राम कुंभकरण का वध करते हैं। लक्ष्मण जी मेघनाथ का वध करते हैं फिर राम रावण का वध कर देते हैं एवं माता जानकी को संग करके वापस अयोध्या आते हैं। कथा कार्यक्रम को सफल बनाने में आयोजन समिति के अध्यक्ष आरपीएम पुरी, कार्यकारी अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह, महामंत्री अंजनि कुमार मिश्रा, संयोजक योगेंद्र नारायण सिंह, सचिव पंकज सिंह भदोरिया, उमेश प्रसाद सिंह, संरक्षक कृष्णकांत मालवीय, संतोष कुमार, डा नागेश्वर शर्मा, अवध विहारी प्रसाद, सुनील ठाकुर, इन्दिरानंद सिंह, श्यामदेव राय, गिरीग प्रसाद सिंह, रीता चौरसिया, ओपी मिश्रा, डॉ गोपाल वर्णवाल, दिलीप श्रीवास्तव, भुनेश्वर प्रसाद सिंह, सहयोगियों में योगेंद्र प्रसाद सिंह, जयनाराय सिंह, सियारामजी, सखीचन्द प्रसाद सिंह, कार्यनंद सिंह, संजय सिंह, बृजभूषण शर्मा, राम श्रृंगार पांडेय, शंभु प्रसाद वर्मा, आशीष वाजपेई, कृष्ण कुमार, अर्जुन प्रसाद सिंह, शिवनंदन सिंह, शशिकांत झा, राधाकांत झा, निशा सिंह, सुभद्रा सिंह, ममता देवी, रानी देवी, सुनने देवी, अरुण झा, अम्बिका प्रसाद, रमेश कुमार, सुनील सिंह रमन, विष्णु देव प्रसाद सिंह, संत पुपरी आदि लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कल शनिवार को कथावाचक कपिल भाई द्वारा उत्तर कांड का ज्ञान भक्ति प्रसंग का उपसंहार पर कथा सुनाएंगे।









