मिथिलांचल के ज्ञान योगदान को सर्वश्रेष्ठ माना गया हैः डॉ संजय झा

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मिथिलांचल के ज्ञान योगदान को सर्वश्रेष्ठ माना गया हैः डॉ संजय झा

डॉ जगन्नाथ मिश्रा महाविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अंतरविषयक सेमिनार शुरू

देवघर। रविवार को डॉ जगन्नाथ मिश्रा महाविद्यालय जसीडीह में दो दिवसीय अंतरविषयक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सोना देवी विश्वविद्यालय घाटशिला, पूर्वी सिंहभूम के कुलाधिपति प्रभाकर सिंह, कुलपति डॉ जेपी मिश्रा, डॉ आरके शाह, शोध निदेशक राजश्री जनक विश्वविद्यालय जनकपुर धाम नेपाल, डॉ मनोज कुमार मिश्रा, पूर्व प्रोफेसर सलाले विश्वविद्यालय इथोपिया, डॉ सरोज कुमार मिश्र सहायक निदेशक इग्नू क्षेत्रीय केंद्र देवघर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इसके बाद डॉ नरेंद्रनाथ ठाकुर द्वारा मंगलाचरण का पाठ किया गया। सभी अतिथि का स्वागत पुष्प गुच्छ देकर किया गया। आयोजक द्वारा अतिथियों को अंग वस्त्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। उसके बाद दिवंगत प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके तैलचित्र पर माल्यार्पण किया गया एवं दो मिनट का मौन रखा गया। कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए आयोजन समिति के प्रमुख डॉ सरोज कुमार मिश्र ने सभी अतिथियों एवं शिक्षार्थियों का अभिवादन करते हुए कहा कि इस महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन अपने आप में अद्वितीय है। उन्होंने महाविद्यालय की पूरी टीम का आभार व्यक्त किया एवं भविष्य में ऐसे सेमिनार आयोजन करने की कामना की। मुख्य वक्ता डॉ संजय झा पूर्व प्रो ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा ने भारतीय ज्ञान परंपरा का विभिन्न आयाम का विश्लेषण करते हुए कहा कि मिथिलांचल के ज्ञान योगदान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। क्योंकि इसकी परंपरा व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ना है।कुलाधिपति सोना देवी विश्वविद्यालय घाटशिला प्रभाकर सिंह ने सभी शोधार्थियों से कहा कि यह सेमिनार उनके लिए भविष्य का रास्ता तय करती है। डॉ जेपी मिश्रा कुलपति सोना देवी विश्वविद्यालय घाटशिला ने सभी आगंतुक विद्वानों की सराहना की एवं शिक्षार्थियों को शोध पर विशेष ध्यान देने को कहा। डॉ मनोज कुमार मिश्रा पूर्व प्रोफेसर सलाले विश्वविद्यालय इथोपिया ने कहा कि शोधार्थियों के लिए इस सेमीनार में अपनी सहभागिता से भारतीय ज्ञान परंपरा को फिर से पुनर्जीवित ही नहीं किया है। बल्कि आधुनिक तकनीक से परंपरागत ज्ञान को जोड़ा है। अनुचिन्तन फाउंडेशन खगड़िया के अध्यक्ष डॉ ईश्वर चंद ने चार पुस्तकों के विवेचन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चिंतन, मनन, पर्यावरण संबंधी चर्चाएं इस पुस्तक में मिलेगा। अधिवेशन, संगोष्ठी एवं सेमिनार मानव चिंतन का मंच है। इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का मूल उद्देश्य भारतीय मौलिक ज्ञान का विस्तार से चर्चा करना है। भागवत गीता की चर्चा में कहा गया है कि गीता की वाणी भगवान की वाणी है। गीता मानव कल्याण का संदेश देता है। मनुष्य को हमेशा जग कर रहना चाहिए। हमें कर्म करते रहना चाहिए। कल की चिंता ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए। हमें ज्ञान अर्जित करना चाहिए। मंच का संचालन करते हुए रामसेवक सिंह गुंजन ने मौखिक ज्ञान परंपरा का विशेष महत्व पर प्रकाश डाला। उन्हें मंच संचालन की महती भूमिका के लिए डॉ सरोज कुमार मिश्र ने विशेष रूप से धन्यवाद दिया। शुभा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के निदेशक हिमांशु देव के निर्देशन में कार्यक्रम का संचालन हुआ। अंत में समन्वयक डॉ रामकृष्ण चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के प्राध्यापिका भावना भारती, सहायक परशुराम प्रसाद राय, चंद्र किशोर चौधरी, महादेव पंडित, अमरेंद्र ठाकुर, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी शिवनारायण यादव, जयचंद, संजय गुप्ता, रामकृष्ण चौधरी, समन्यवक इग्नू अध्ययन केंद्र एवं महाविद्यालय के छात्र छात्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Baba Wani
Author: Baba Wani

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