
सावित्री देवी की दसवीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित — रामप्रसाद बरनवाल सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सारवां में हुआ भव्य आयोजन
पूर्व राज्यसभा सांसद अभयकांत प्रसाद सहित अनेक गणमान्य लोगों ने दी श्रद्धांजलि, प्रतियोगिताओं में सफल विद्यार्थियों को किया गया सम्मानित
स्थान: देवघर/सारवां।
देवघर जिले के सारवां प्रखंड मुख्यालय स्थित रामप्रसाद बरनवाल सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में बुधवार को श्रद्धा और समर्पण का अनोखा संगम देखने को मिला। विद्यालय प्रांगण में स्व. सावित्री देवी, जो कि विद्यालय के संस्थापक स्व. रामप्रसाद बरनवाल की धर्मपत्नी थीं, की दसवीं पुण्यतिथि के अवसर पर एक भव्य श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर विद्यालय परिसर में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, अभिभावक, प्रबंधन समिति के सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता और गणमान्य लोग उपस्थित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता, स्वामी विवेकानंद, सरस्वती माता और सावित्री देवी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। तत्पश्चात विद्यालय के भैया-बहनों द्वारा देशभक्ति गीत, कविता पाठ और भजन प्रस्तुत कर वातावरण को भावनात्मक बना दिया।
समाज के प्रति समर्पण की मिसाल थीं सावित्री देवी
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व राज्यसभा सांसद अभयकांत प्रसाद ने सावित्री देवी के जीवन और उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि “सावित्री देवी धर्मपरायण, संस्कारी और समाज सेवा के प्रति समर्पित महिला थीं। उन्होंने अपने जीवनकाल में शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य किया। आज उनका नाम इस विद्यालय के माध्यम से अमर है।”
उन्होंने कहा कि स्व. रामप्रसाद बरनवाल और सावित्री देवी ने मिलकर जिस आदर्श की नींव रखी, वह आज भी पीढ़ियों को प्रेरित कर रही है।
कार्यक्रम में उपस्थित अजय कुमार सिंह, भूपाल प्रसाद सिंह सहित अन्य अतिथियों ने कहा कि एक मां केवल परिवार की आधारशिला नहीं होती, बल्कि समाज को भी दिशा देती है। सावित्री देवी का जीवन इसी विचार का जीवंत उदाहरण है।
दिलीप बरनवाल हुए भावुक, मां के स्नेह को किया याद
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के संरक्षक दिलीप बरनवाल ने अपनी माता सावित्री देवी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि “मां की ममता और आशीर्वाद ने ही मुझे जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। बचपन में मां डांटती थीं, लेकिन कुछ देर बाद ही वही ममता से भरकर हमें भोजन कराती थीं। आज उनकी याद आती है तो हृदय भावुक हो उठता है।”
उन्होंने आगे कहा कि “माता-पिता की याद में कुछ सेवा कार्य करने का विचार आया और उसी सोच के तहत विद्यालय को भवन व भूमि दान की गई। यह मेरे माता-पिता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।”
उन्होंने बताया कि हाल ही में 14 अक्टूबर को अपने पिता स्व. रामप्रसाद बरनवाल की तेरहवीं पुण्यतिथि के अवसर पर दुमका के काठजोर में सेवा कार्य का आयोजन किया गया था।

बच्चों में उमंग, प्रतियोगिताओं से निखरे कौशल
श्रद्धांजलि सभा के साथ ही विद्यालय में चित्रांकन, कविता/गीत, समूह निर्माण, प्रश्न मंच (क्विज), संगीत, भाव नृत्य, चम्मच रेस, बोरा रेस, लंबी कूद और म्यूजिक चेयर रेस जैसी अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
विद्यालय के बच्चों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि व्यक्तित्व विकास का माध्यम है।
प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रबंधन समिति की ओर से प्रमाणपत्र और पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

अतिथियों का सम्मान और भंडारा का आयोजन
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय परिवार की ओर से आए हुए सभी अतिथियों का अंगवस्त्र और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। श्रद्धांजलि सभा के उपरांत भंडारा का आयोजन किया गया, जिसमें सभी छात्र-छात्राओं, अभिभावकों और अतिथियों ने प्रसाद ग्रहण किया।
मंच संचालन का दायित्व श्रीकांत वर्मा ने बखूबी निभाया।
कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य लोग
श्रद्धांजलि सभा में मुख्य अतिथि के अलावा विद्यालय के सचिव भूपाल प्रसाद सिंह, उमा नलिनी सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य मुकुल कुमार, राजीव कुमार, रविशंकर यादव, सुदेश कुमार, चंद्रकांत कुमार, कपिल कुमार, शिवशंकर कुमार, रेखा बरनवाल, नरेश बरनवाल, उमाशंकर बरनवाल, जिया नाग, मनोहर प्रसाद राय, रमेश बरनवाल, अमरेंद्र कुमार, फणीभूषण झा, निशिकांत झा, मुरली वर्मा, प्रदीप नाग, मुकेश कुमार सिंह, पुतुल दीदी, स्वस्तिका, बबिता, अंजू सहित बड़ी संख्या में अभिभावक एवं विद्यालय परिवार उपस्थित थे।

कार्यक्रम की विशेषता
सावित्री देवी की पुण्यतिथि पर भावनात्मक श्रद्धांजलि सभा
विद्यालय परिसर में बच्चों की प्रतिभा प्रदर्शन प्रतियोगिताएं
माता-पिता की स्मृति में समाज सेवा का संकल्प
भंडारा और अतिथि सम्मान के साथ कार्यक्रम का समापन
निष्कर्ष
सावित्री देवी की पुण्यतिथि पर आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा केवल एक स्मृति समारोह नहीं, बल्कि संस्कार, सेवा और समर्पण का सजीव उदाहरण बन गई।
विद्यालय के माध्यम से न केवल शिक्षा का प्रसार हो रहा है, बल्कि मूल्य आधारित जीवनशैली का भी संदेश समाज तक पहुंच रहा है।
स्व. सावित्री देवी और स्व. रामप्रसाद बरनवाल का सपना, उनके पुत्र दिलीप बरनवाल के संकल्प और विद्यालय परिवार की एकजुटता से, आज सारवां में साकार रूप ले रहा है।









