
सारवां वैष्णवी दुर्गा मंदिर में मातारानी का दर्शन करने पहुंचे 107 वर्ष के बुजुर्ग
पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से मिल कर बुजुर्ग के चेहरे में आई मुस्कान
पूर्व मंत्री ने कहीं बड़ी बात यह मेला ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने भारत की जीडीपी को मजबूत करने वाला मेला है
शक्ति स्वरूपा महिला कल भी अपराजिता थी और आज है
देवघर। नवरात्र के मौके पर मातारानी पर अटूट आस्था रखने वाले लोगों के लिए उम्र या शारीरिक स्थिति मजबूरी नहीं बनती है बल्कि आस्था के आगे उम्र और शारीरिक स्थिति भी नदमस्तक हो जाती है। ऐसा ही एक मामला आज जिले के सारवां प्रखंड मुख्यालय के सारवां वैष्णवी दुर्गा मंदिर में देखने को मिला, जहां भंडारो गांव के रहने वाले 107 वर्ष के बुजुर्ग मुसाफिर वर्मा मां दुर्गा का दर्शन करने व पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से मिलने के लिए लाठी के सहारे यह लगभग 1 किलोमीटर की दूरी तय कर मंदिर पहुंचे और मां का दर्शन पूजन कर पूर्व कर कृषि मंत्री से मिले। इस दौरान उनके चेहरे पर अलग तरह की मुस्कान नजर आई। जिससे प्रतीत हो रहा था कि आस्था और विश्वास के आगे उम्र और उनकी शारीरिक स्थिति भी नदमस्तक हो गई है।

बाबत पूछे जाने पर 107 वर्ष के बुजुर्ग मुसाफिर वर्मा ने कहा कि मां का दर्शन पूजन करने से मुझे अच्छा लगता है और बादल भैया से मिलकर अलग तरह के आनंद की अनुभूति होती है। मैं मां दुर्गा से कामना करता हूं कि बादल भैया आनंद में रहे और आगे बढ़े। वहीं इस बाबत पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख बादल पत्रलेख ने कहा कि मुसाफिर वर्मा खुद वैष्णव है और मां के अटूट भक्त हैं। उन्होंने इस मंदिर के स्थापना कल से लेकर आज तक की कहानी सुनाई कि किस तरह विषम परिस्थिति में यहां की व्यवस्था में परिवर्तन आया और पूजा व मेला में चार चांद लगा दिया। इस मेले से यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसका जीता जागता प्रमाण मुसाफिर वर्मा जैसे भक्त हैं, जो खुद चलकर मां के दरबार में आए हैं। मैं बच्चा था तब भी यहां हाजिरी लगाने आता रहा हूं और आज मैं 20 वर्षों से अध्यक्ष हूं तो मुझे भी मुसाफिर वर्मा का इंतजार रहता है।

यह घर से कह कर निकलते हैं कि चलो वहां बादल भैया होगा। ऐसे भक्त मां दुर्गा में अटूट श्रद्धा रखने वाले इन्हें दीर्घायु प्रदान करें। यहां तीन दिनों तक लगने वाला मेला जिले व संथाल परगना का सर्वाधिक भीड़ और शांतिप्रिय मेला रहा है। इस मेले में क्षेत्र के लोग अपने दोस्तों, परिजनों व शुभचिंतकों से मिलने आते हैं। यहां लगने वाले विभिन्न मेले से लगभग 10 करोड़ की आय प्राप्त होती है। विभिन्न माध्यमों से यहां का मेला ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने व भारत की जीडीपी को मजबूत करने का काम करता है। उन्होंने कहा कि महिला कल भी शक्ति स्वरूपा थी, अपराजिता थी और आज भी है। नवरात्र हमें संयमित रहने व महिला सशक्तिकरण का भी संदेश देता है। देवघर आस्था व धार्मिक नगरी होने के कारण विश्व के मानस पटल पर है फिर भी यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था इस मेले से मजबूत बनती है।










