हजारीबाग की पारम्परिक कार्तिक पूर्णिमा नृसिंहस्थान मेला आज — आस्था और परंपरा का संगम, उमड़ेगा श्रद्धालुओं का सैलाब

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हजारीबाग की पारम्परिक कार्तिक पूर्णिमा नृसिंहस्थान मेला आज — आस्था और परंपरा का संगम, उमड़ेगा श्रद्धालुओं का सैलाब

 

हजारीबाग। जिले का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाला नृसिंहस्थान कार्तिक पूर्णिमा मेला आज बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ आयोजित किया जा रहा है। सदियों पुरानी परंपरा और आस्था का प्रतीक यह मेला हर वर्ष की तरह इस बार भी हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। हजारीबाग जिला प्रशासन और मंदिर समिति ने संयुक्त रूप से सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। पूरे क्षेत्र में सुरक्षा, सफाई और यातायात की व्यवस्था को लेकर प्रशासन सतर्क है।

 

🕉️ सुबह से गूंजेगा जय नृसिंह देव का जयकारा

 

ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालु नृसिंहस्थान मंदिर परिसर पहुंचने लगते हैं। भक्त पवित्र जल से स्नान कर भगवान नृसिंह की पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं। मंदिर परिसर “जय नृसिंह देव” और “हरि बोल” के जयकारों से गूंज उठता है। स्थानीय पुजारियों के नेतृत्व में विशेष आरती और पूजा अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और भगवान नृसिंह के दर्शन से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी कारण सुबह से ही हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब मंदिर की ओर उमड़ रहा है।

 

🛕 प्रशासन ने की चाक-चौबंद व्यवस्था

 

मेला को सफल और सुरक्षित बनाने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों में पुलिस बल, होमगार्ड, एनसीसी कैडेट और स्वयंसेवकों की तैनाती की गई है। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर विशेष निगरानी दल और हेल्प डेस्क बनाए गए हैं।

कटकमदाग अंचलाधिकारी जयनारायण पासवान और थाना प्रभारी प्रमोद कुमार राय ने स्वयं मेला क्षेत्र का निरीक्षण किया और सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

 

मंदिर समिति के सहयोग से सफाई, रोशनी और पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एम्बुलेंस और प्राथमिक उपचार केंद्र की सुविधा उपलब्ध कराई गई है ताकि किसी आपात स्थिति में त्वरित सहायता मिल सके।

सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए सीसीटीवी कैमरे मंदिर परिसर में लगाए गए हैं। वहीं यातायात पुलिस ने आवागमन को सुचारू रखने के लिए रूट प्लान तैयार किया है और पार्किंग की समुचित व्यवस्था की है।

 

🛍️ धार्मिक आस्था के साथ व्यापार का उत्सव भी

 

नृसिंहस्थान मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह स्थानीय व्यापारियों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण अवसर है। ग्रामीण क्षेत्रों से आए हस्तशिल्पकारों, दुकानदारों और कलाकारों ने अपने-अपने स्टॉल लगाए हैं।

खिलौनों, मिठाइयों, बर्तनों, श्रृंगार सामग्री और पारंपरिक वस्त्रों की दुकानों पर लोगों की जबरदस्त भीड़ देखी जा रही है। बच्चे और महिलाएं उत्साह से खरीदारी कर रही हैं।

 

🎡 झूले, नौटंकी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गूंजा मेला

 

मेला परिसर में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले, नौटंकी, जादू शो और लोकनृत्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने श्रद्धालुओं और आगंतुकों का मन मोह लिया है। पूरा वातावरण भक्तिमय और उत्सवमय हो उठा है।

रात के समय मंदिर प्रांगण में दीप प्रज्वलन और विशेष आरती का आयोजन होगा, जिसमें हजारों दीयों की रोशनी से पूरा क्षेत्र आलोकित होगा।

 

🧘 प्रशासन की अपील — शांति और स्वच्छता बनाए रखें

 

जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मेला परिसर में शांति और अनुशासन बनाए रखें, किसी भी असामाजिक गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें और स्वच्छता अभियान में सहयोग करें।

साथ ही प्रशासन ने यह भी अनुरोध किया है कि श्रद्धालु कतारबद्ध होकर दर्शन करें और सुरक्षा कर्मियों के निर्देशों का पालन करें ताकि सभी के लिए एक सुरक्षित और सुखद अनुभव सुनिश्चित हो सके।

 

🌸 सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक

 

नृसिंहस्थान कार्तिक पूर्णिमा मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हजारीबाग की सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक एकता का जीवंत प्रतीक बन चुका है। इस मेले में हर वर्ग, हर समुदाय के लोग भाग लेते हैं और भक्ति, श्रद्धा, उत्साह तथा सौहार्द का परिचय देते हैं।

मेले की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, जो आज भी उतनी ही जीवंत और प्रभावशाली है जितनी सदियों पहले थी।

 

आज हजारीबाग का नृसिंहस्थान आस्था, भक्ति और उल्लास का केंद्र बन गया है। भगवान नृसिंह की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है और पूरा क्षेत्र “हरि बोल” और “जय नृसिंह देव” के जयकारों से गूंज उठा है।

 

 

 

 

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👉 निष्कर्ष:

कार्तिक पूर्णिमा का यह ऐतिहासिक नृसिंहस्थान मेला हजारीबाग के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। आज का दिन न केवल भक्ति का पर्व है, बल्कि यह समाज की एकता, परंपरा और लोकसंस्कृति की झलक भी प्रस्तुत करता है।

Baba Wani
Author: Baba Wani

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