महालया मां दुर्गा की धरती पर आगमन का प्रतीक

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महालया मां दुर्गा की धरती पर आगमन का प्रतीक

देवघर। मां दुर्गा में आस्था रखने वाले लोग महालया का इंतजार करते हैं और महालया के साथ ही दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है। पंचांग के अनुसार पितृपक्ष का समापन महालया अमावस्या पर माना जाता है। पितृपक्ष महत्वपूर्ण दिन माने जाते हैं और बताया जाता है कि इन दिनों में पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। इस अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक वर्ष इसी दिन मां दुर्गा धरती पर आती हैं। महालया का महत्व बंगाली समाज खास है। इस दिन से पश्चिम बंगाल में दस दिवसीय वार्षिक दुर्गा पूजा उत्सव का आरंभ हो जाता है। महालया अमावस्या पर लोग पवित्र नदी में स्नान करके अपने पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर उनकी विदाई का काम करते हैं पितृपक्ष और महालय अमावस्या पितरों को याद करने का दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा विष्णु और महेश ने अत्याचारी राक्षस महिषासुर के संहार के लिए मां दुर्गा का सृजन किया। बता दें कि महिषासुर को वरदान मिला हुआ था कि कोई देवता या मनुष्य उसका वध नहीं कर पाएगा। ऐसा वरदान पाकर महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया और उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और इस युद्ध में देवता हार गए और देवलोक पर महिषासुर का राज हो गया। महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदिशक्ति की आराधना की। इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्या रौशनी निकली, जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। शास्त्रों से सुसज्जित मां दुर्गा ने महिषासुर से 9 दिनों तक भीषण युद्ध करने के बाद 10वें दिन उसका वध कर दिया। दरअसल महालया मां दुर्गा की धरती पर आगमन का प्रतीक है। मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है और इसको लेकर हर साल दुर्गा पूजा के दिन सभी भक्त मां दुर्गा की आराधना करते हैं। कहा जाता है इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी।

कलश स्थापना 22 सितंबर को 

ज्योतिषो के अनुसार 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है और इसको लेकर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त  प्रात: 06 बजे से प्रात: 08 बजे तक, प्रात: 08:30 से 10:00 बजे तक है।

पूजा केंद्रों पर तैयारी पूरी

शारदीय नवरात्रि को लेकर पूजा केंद्रों पर तैयारी पूरी कर ली गई है। पूजा केंद्रों पर मूर्तिकार प्रतिमा निर्माण पर जोरशोर से लगे हुए है। देवघर सहित अन्य पूजा पंडालों पर तमाम तैयारी और पंडालों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। दुर्गा पूजा को लेकर बाजारों में रौनक लौट आई है। पूजा को लेकर पूजा सामग्री और कपड़ो की खरीदारी शुरू हो गई है। कपड़ो के दुकानों में भीड़ देखने को मिल रही है और खासतौर पर बच्चों में उत्साह देखने को मिल रहा है। हम बता दें कि शहर के सभी दुकानों में लोगों की चहलकदमी देखने को मिल रही है।

Baba Wani
Author: Baba Wani

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