
वायुसेना के शहीद संजीव कुमार पंचतत्व में विलीन, लोगों की आंखें हुईं नम
वायुसेना के जवानों ने अजय नदी के सती घाट में 33 गोलियों से दी सलामी
देवघर। गुरुवार को जिले के सारवां प्रखंड स्थित अजय नदी के सती घाट में सारवां के लाल शहीद संजीव कुमार पंचतत्व में विलीन हो गए। जहां वायुसेना के सिंगरसी कैंप से पहुंचे 32 अधिकारियों व जवानों की टोली द्वारा तीन राउंड में 33 गोलियों से सलामी देकर अंतिम विदाई दी गई। साथ ही उनके बड़े भाई शिक्षक मनीष कुमार पत्रलेख को तिरंगा झंडा व कैप सौंपा। इस दौरान सभी की आंखें नमन हो गई। अंतिम संस्कार के दौरान मुखाग्नि शहीद संजीव कुमार के पुत्र शुभम कौशिक ने दी। बता दें कि शहीद संजीव कुमार सारवां के कुशमाहा गांव निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक रूपनारायण पत्रलेख के छोटे पुत्र थे।

फिलहाल वह डीआरडीओ के बंगलौर कैंप में जुनियर वारंट अफसर के पद पर पदस्थापित थे। इस दौरान बीमारी के कारण 29 जुलाई की रात 9 बजे के आसपास उनका निधन वायुसेना के बंगलौर स्थित वायुसेना कमांड अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया। बंगलौर में वायुसेना के अधिकारियों व जवानों ने सम्मान पूर्वक उन्हें अंतिम विदाई दी और कागजी कार्रवाई करने के बाद 30 जुलाई को दोपहर बाद परिजनों को शव सौंपा। बंगलौर में वायुसेना के एयर वाइश मार्शल जीएस चौहान सहित अन्य अधिकारी व जवानों ने उन्हें सलामी दी।

शहीद संजीव कुमार की धर्मपत्नी स्नेहा पत्रलेख को सांत्वना देते हुए तिरंगा झंडा सौंपा। उन्होंने लड़ाकू विमान तेजस और किरण में अपनी टेक्निकल सेवा दी है। अपने सेवा काल के दौरान अपने कार्यों से कई पुरस्कार व मेडल प्राप्त किया। उनके कार्यों से खुश होकर कमांडिंग इन चीफ व चिप आफ एयर स्टाफ जैसे अधिकारियों से भी सम्मानित हो चुके हैं। शहीद संजीव कुमार अपने पीछे धर्मपत्नी के अलावा एक पुत्र, एक पुत्री सहित माता पिता से भरा पूरा परिवार छोड़ गए।

बंगलौर से शव लेकर सेवा विमान से पटना एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से परिजन सड़क मार्ग के रास्ते देवघर होते हुए सारवां के कुशमाहा गांव आज 31 जुलाई को अहले सुबह पहुंचे। शहीद का शव गांव पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया और परिजन व शुभचिंतक चित्कार मार कर रो पड़े। बता दें कि संजीव कुमार ने छात्र जीवन में इंटरमीडिएट पास करने के बाद 1991 में 18 साल की उम्र में अपना जीवन देश सेवा में वायुसेना को सौंप दिया था। मौके पर सैकड़ों लोग शहीद संजीव कुमार के बचपन से लेकर अब तक हंसमुख स्वभाव की चर्चा कर उनके साथ बिताए पल को याद कर गमगीन हो गए। अंतिम संस्कार के मौके पर सूबे के पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।










