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घाटशिला विधानसभा उपचुनाव-2025: ट्राइएंगुलर मुकाबला व बढ़ती जनभागीदारी
मतदान प्रतिशत 73.88% हुआ दर्ज
चाईबासा। झारखंड के चाईबासा जिले में स्थित घाटशिला विधानसभा क्षेत्र (विधानसभा संख्या 45) में 11 नवंबर 2025 को हुए उपचुनाव ने राजनीतिक तापमान और जनता की सक्रिय भागीदारी दोनों ही को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। यह सीट अनुसूचित जनजाति (ST) आरक्षित है। इस बार यहां मतदाताओं ने बंपर वोटिंग की है। शाम 5 बजे तक हुए मतदान में मतदान प्रतिशत 73.88% दर्ज हुआ।
चुनाव का माहौल और पृष्ठभूमि
घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव का आयोजन इसलिए हुआ क्योंकि पूर्व विधायक एवं कैबिनेट मंत्री रामदास सोरेन के निधन या अन्य कारण से खाली हुई सीट को भरना था। इस सीट का जनजाति-मुल्यांकन, क्षेत्रीय समीकरण और संसाधनों की उपलब्धता इसे हर चुनाव में राजनीतिक समर का केंद्र बनाते रहे हैं।
चुनाव आयोग ने इस क्षेत्र में विशेष सुरक्षा-प्रबंध, मतदान केंद्रों का निर्धारण, बूथ लेवल तैयारियों पर ध्यान दिया।
प्रमुख उम्मीदवार एवं दल
इस उपचुनाव में निम्नलिखित प्रमुख दावेदार शामिल थे:
सोमेश सोरेन – झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) द्वारा मैदान में उतारे गए हैं, जिनका नाम सोरेन परिवार की राजनीति-परंपरा से जुड़ा है।
बाबू लाल सोरेन – भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार, जिनका नाम भी सोरेन खानदान से है और भाजपा इस सीट पर प्रबल दावेदारी लेकर उभरी है।
रामदास मुर्मू – झारखंड लोकतान्त्रिक क्रान्तिकारी मोर्चा (JLKM) के उम्मीदवार, जो तीसरे मोर्चे का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
मतदान और जनभागीदारी
मंगलवार को संपन्न हुए इस उपचुनाव में मतदान शांतिपूर्वक हुआ और मतादाताओं की भागीदारी काफी प्रभावशाली रही। मतगणना से पूर्व 5 PM तक मतदान प्रतिशत 73.88% दर्ज हुआ।
यह प्रतिशत पिछली विधानसभा नियमित चुनाव 2024 में दर्ज 76.48% के आंकड़े के काफी करीब रहा।
ध्यान देने योग्य है कि चुनाव की प्रक्रिया के दौरान मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट उल्लंघन की दो FIRs दर्ज की गईं — एक मतदान गोपनीयता के उल्लंघन और दूसरी नकदी ले जाने के मामले में।
परिणाम और विश्लेषण
हालाँकि परिणाम पूर्ण रूप से घोषित नहीं हुए थे लेकिन उम्मीदवारों के वोट्स / वोट प्रतिशत सार्वजनिक स्रोतों में उपलब्ध हैं:
JMM के रामदास सोरेन ने 98,356 वोट हासिल किए और 51.50% वोट शेयर पाया।
BJP के बाबू लाल सोरेन को 75,910 वोट मिले और 39.75% वोट शेयर मिला।
JLKM के रामदास मुर्मू को 8,092 वोट मिले तथा लगभग 4.24% वोट शेयर रहा।
जीत का मार्जिन लगभग 22,446 वोटों था।
यह इस क्षेत्र की राजनीति में एक स्पष्ट संदेश माना जा सकता है कि JMM की पकड़ अभी भी बनी हुई है जबकि BJP ने मजबूती दिखाई है।
राजनीतिक मायने और चुनौतियाँ
इस उपचुनाव का महत्व सिर्फ इस सीट तक सीमित नहीं है — इसे हेमंत सोरेन नेतृत्व वाली JMM सरकार के लिए एक जनादेश के तौर पर देखा जा रहा है।
स्थानीय जनजाति-वर्ग की प्रतिक्रिया, क्षेत्र में विकास कार्यों की गति, रोजगार-सृजन और संसाधनों के संविदान इस चुनाव में मुख्य रोल निभा रहे थे। इसके साथ ही भाजपा ने भी इस सीट को अपना ‘टेस्ट’ माना था।
विकास एवं स्थानीय मुद्दे
घाटशिला क्षेत्र में खनिज एवं संसाधन-सम्बंधित गतिविधियाँ, भूगोलिक चुनौतियाँ, जनजातीय विकास, आधारभूत सुविधाओं की दरकार जैसे मुद्दे प्रमुख थे। इन चुनौतियों को राजनीतिक दाव-पेंच में शामिल किया गया।
निर्वाचन की तैयारियों में बूथ-स्तर पर सुधार, मतदाता सूची संशोधन, मतदान केंद्रों की संख्या तथा सुरक्षा-प्रबंधों पर प्रशासन द्वारा विशेष ध्यान दिया गया था।
आगे क्या?
घाटशिला उपचुनाव के परिणाम आने के बाद राजनीतिक दलों द्वारा स्थानीय स्तर पर रणनीतिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। विकास-कार्य की गति, जनजातीय वोट बैंक की भावनाओं को समझना, क्षेत्रीय गठजोड़ों की पुनः व्यवस्था करना अगली बड़ी चुनौतियाँ होंगी।
निष्कर्ष
घाटशिला सीट पर 11 नवम्बर 2025 को हुए उपचुनाव ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यहाँ की राजनीति में जन-भागीदारी, क्षेत्रीय पहचान और संसाधन-विकास के मुद्दे निर्णायक भूमिका रखते हैं। JMM-BJP की मुख्य टक्कर तथा JLKM-स्वतंत्र प्रत्याशियों की भागीदारी ने इसे एक रोचक त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया। आगामी दिन-महिनों में इस सीट से उभरने वाले संकेत झारखंड की राजनीति की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।









