भारत विकास परिषद के तीन दिवसीय बाल संस्कार शिविर का समापन

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भारत विकास परिषद के तीन दिवसीय बाल संस्कार शिविर का समापन

अंतिम दिन पूर्ण भारतीय संस्कृति के साथ गुरु वंदन छात्र अभिनंदन कार्यक्रम हुआ

देवघर। गुरुवार को भारत विकास परिषद देवघर शाखा द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, पुनसिया में तीन दिवसीय बाल संस्कार शिविर का पूर्ण भारतीय सांस्कृतिक अंदाज में समापन किया गया। इस बाल संस्कार शिविर के माध्यम से बच्चों में भारतीय संस्कृति की अलख जगाया गया। इस बाल संस्कार शिविर को मेधा योग (आर्ट ऑफ लिविंग), संस्कृत व स्वस्ति वाचन, वैदिक गणित और बेसिक मधुर संगीत से पिरोया गया। आज अंतिम दिन गुरु वंदन छात्र अभिनंदन किया गया। विद्यालय के सभी छात्रों ने अपने विद्यालय के शिक्षकों, निशांत जी सहित शिविर के गुरुजनों और विद्यालय समिति के अध्यक्ष चांदमणि द्वारी एवं सदस्य सुधीर पासी की वंदना तिलक लगाकर, फूल-अक्षत बरसा कर तथा आरती उतारकर किया। इससे पहले उनके हाथों में ताम्बुल और श्रीफल (नारियल) देकर सत्कार किया गया। वहीं सभी गुरुजनों ने सभी छात्रों को एक-एक पुस्तक भेंट कर तथा पुष्प वर्षा कर अभिनंदन किया। इस तीन दिवसीय शिविर में तीन दिनों तक आर्ट ऑफ लिविंग के वरीय प्रशिक्षक निशांत जी ने मेधा योग के अंतर्गत बच्चों को खूबसूरत अंदाज में योग, स्वासों की क्रिया, ऊं और विभिन्न लयाें, सहज योग और ध्यान के माध्यम से बच्चों की एकाग्रता और मेधाविता को समग्र बनाने का अभ्यास कराया। पिंटू कुमार पाण्डेय और आशुतोष पाण्डेय ने बच्चों को सरल संस्कृत वार्ता तथा संस्कृत स्तुति वाचन कराया। देवघर कोर्ट से सेवानिवृत्त अधिकारी शशि शेखर सिंह ने वैदिक पद्धति से गणित को रोचकपूर्ण तरीके से हल करना सिखाया। बच्चों को संगीत का अलाप भी सिखाया गया तथा ताल और राग का भी अभ्यास कराया। भारत विकास परिषद की परंपरानुसार प्रतिदिन समवेत वंदे मातरम् गीत से शुभारंभ तथा राष्ट्र गान जन गण मन गाकर शिविर संचालन का समापन कराया गया। आज अंतिम दिन शाखाध्यक्ष आलोक मल्लिक, सचिव कंचन शेखर सिंह, कोषाध्यक्ष ई एसपी भुईयां बिलास तथा सेवा संयोजक रंजीत बरनवाल ने उत्साहपूर्ण माहौल में शिविर को समाप्त कराया। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका अंकिता और विद्यालय समिति के अध्यक्ष चांद मणि द्वारी ने भारत विकास परिषद देवघर शाखा के प्रति आभार प्रकट किया और बताया कि बच्चों को इस शिविर से काफी लाभ मिला है।

Baba Wani
Author: Baba Wani

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