
देवताओं की उपासना करने के देवत्व प्राप्त करना पड़ता है: महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज
आचार्य महामंडलेश्वर देवघर से दिल्ली के रास्ते हरिद्वार के लिए हुए रवाना
देवघर। निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज अपने चार दिवसीय बिहार झारखंड प्रवास के बाद आज रविवार को भक्तों को आशीर्वाद देते हुए सेवा विमान से दिल्ली के रास्ते हरिद्वार के लिए रवाना हो गए। उन्होंने कहा कि चार दिवसीय प्रवास के दौरान बाबा बैद्यनाथ का वंदन व अभिषेक का अवसर मिला। इस दौरान बाबा मंदिर प्रबंधक रमेश परिहस्त, पंडा धर्मरक्षिणी सभा के महामंत्री निर्मल झा मंटू, पंडा धर्मरक्षिणी सभा के उपाध्यक्ष संजय मिश्रा, अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य सभा के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष सह नरेंद्र मोदी विकास मिशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ध्रुव प्रसाद साह, शहर के प्रसिद्ध दंत चिकित्सक सह नरेंद्र मोदी विकास मिशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ राजीव रंजन, शहर के प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ एनडी मिश्रा, उनकी धर्मपत्नी चंद्रप्रभा झा, हरिद्वार में रह कर गुरू जी के सान्निध्य में शिक्षा दीक्षा प्राप्त करने वाली ध्रुव प्रसाद साह की पुत्री प्रतीक्षा रानी, रूपा केसरी, डॉ पूजा राय सहित हजारों लोगों से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ।

भक्तों को आशीर्वाद देने के दौरान उन्होंने दंत चिकित्सक सह नरेंद्र मोदी विकास मिशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ राजीव रंजन को रूद्राक्ष की माला पहनाकर आशीर्वाद और सनातन धर्म को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि चार दिवसीय प्रवास के दौरान बैद्यनाथ कीर्तन मंडली के कीर्तन का आनंद लिया। उन्होंने कहा कि भक्तों की भक्ति को भगवान सहर्ष स्वीकार करते हैं, लेकिन देवताओं की उपासना व आराधना करने के लिए देवत्व प्राप्त करना होता है।

उन्होंने आगे कहा कि महादेव स्वयं भक्तों को सेवा करने का मौका देते हैं। कल सोमवार को हमारे आश्रम में विशेष पूजन है और परसों मंगलवार को 25 हजार लोगों का विशाल भंडारा है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि व्यक्ति जीवन में सब कुछ पता है, लेकिन व्यक्ति भक्त नहीं बनता है तो जीवन में अधुरा सा महसूस करता है। किसी भी देवालयों या धार्मिक स्थल में वीआईपी कल्चर नहीं होना चाहिए। लोगों सात्विक तरीके से जीवन जीना चाहिए। देवघर से विदा से पूर्व आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज को प्रतीक्षा रानी ने उन्हें बाबा बैद्यनाथ का स्मृति चिन्ह भेंट किया।










