मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय का 15वां स्थापना दिवस कल, आधुनिक अध्ययन कक्ष व मदर यूनिट का लोकार्पण

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मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय का 15वां स्थापना दिवस कल, आधुनिक अध्ययन कक्ष व मदर यूनिट का लोकार्पण

 

 

 

 

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देवघर के सारवां स्थित मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय का 15वां स्थापना दिवस आज मनाया जाएगा। पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख मुख्य अतिथि होंगे, आधुनिक अध्ययन कक्ष व मदर यूनिट का लोकार्पण होगा।

 

 

 

 

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मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय का 15वां स्थापना दिवस कल

 

देवघर।

जिले के सारवां प्रखंड मुख्यालय स्थित मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय एक बार फिर अपने गौरवशाली इतिहास में नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। पुस्तकालय का 15वां स्थापना दिवस कल शुक्रवार को पूरे उत्साह और गरिमा के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर पुस्तकालय परिसर में आधुनिक सुविधाओं से युक्त नए अध्ययन कक्ष तथा स्थापना शाखा (मदर यूनिट) के नए स्वरूप का विधिवत लोकार्पण किया जाएगा।

 

 

 

 

पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख होंगे मुख्य अतिथि

 

स्थापना दिवस समारोह में सूबे के पूर्व कृषि मंत्री बादल पत्रलेख मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। वहीं देवघर के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा को कार्यक्रम का गेस्ट ऑफ ऑनर बनाया गया है। इसके अतिरिक्त अनुमंडलाधिकारी देवघर रवि कुमार विशेष अतिथि के रूप में समारोह की शोभा बढ़ाएंगे।

 

आयोजन समिति द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षाविदों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी आमंत्रित किया गया है, जिससे यह आयोजन एक सामाजिक–शैक्षणिक महोत्सव का स्वरूप ले सके।

 

 

 

 

ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का मजबूत केंद्र

 

मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय की स्थापना ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों, प्रतियोगी परीक्षार्थियों और शोधार्थियों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई थी। बीते 15 वर्षों में यह पुस्तकालय ग्रामीण शिक्षा का मजबूत स्तंभ बनकर उभरा है।

 

पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख की प्रेरणा और रंजन गुप्ता की सतत मेहनत से पुस्तकालय निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर रहा है। पुस्तकालय भवन का निर्माण भी पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख की विधायक निधि से कराया गया था, जिससे क्षेत्र के विद्यार्थियों को एक स्थायी अध्ययन स्थल मिल सका।

 

 

 

 

आधुनिक अध्ययन कक्ष से मिलेगा प्रतियोगी परीक्षार्थियों को लाभ

 

स्थापना दिवस के अवसर पर लोकार्पित होने वाला नया आधुनिक अध्ययन कक्ष पुस्तकालय की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है। इस अध्ययन कक्ष में शांत वातावरण, बेहतर बैठने की व्यवस्था और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे छात्र लंबे समय तक एकाग्र होकर अध्ययन कर सकें।

 

विशेष रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए यह अध्ययन कक्ष बेहद उपयोगी सिद्ध होगा। साथ ही शोधार्थियों को भी अब स्थानीय स्तर पर बेहतर संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे।

 

 

 

 

मदर यूनिट के नए स्वरूप से बढ़ेंगी शैक्षणिक गतिविधियां

 

पुस्तकालय की स्थापना शाखा (मदर यूनिट) को भी नए स्वरूप में विकसित किया गया है। इसके लोकार्पण के बाद पुस्तकालय की शैक्षणिक गतिविधियों को और गति मिलेगी। पुस्तक संग्रह, पठन-पाठन और शैक्षणिक आयोजनों के लिए अब अधिक सुव्यवस्थित व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

 

 

 

 

समाज के सहयोग से साकार हुआ विकास का सपना

 

पुस्तकालय प्रबंधन द्वारा आमजनों से सेवा व सहयोग की अपील की गई थी, जिसे समाज के जागरूक और सहृदय लोगों ने खुले दिल से स्वीकार किया। इसी सहयोग का परिणाम है कि आज पुस्तकालय एक नए रूप में सामने आ रहा है।

 

इस क्रम में सेवानिवृत्त शिक्षक तेज नारायण राजहंस के सुपुत्र शैलेश रंजन राजहंस ने पुस्तकालय विकास हेतु 41 हजार रुपये का आर्थिक सहयोग प्रदान किया। वहीं सारवां के व्यवसायी बिरेंद्र पोद्दार के सुपुत्र प्रवीण पोद्दार ने पुस्तकालय के लिए लगभग 300 वर्ग फीट ग्रेनाइट उपलब्ध कराया, जिसका बाजार मूल्य 21 से 25 हजार रुपये के बीच बताया जा रहा है।

 

 

 

 

इन लोगों ने भी दिया उल्लेखनीय योगदान

 

पिछले कुछ दिनों में जिन लोगों ने सेवा और सहयोग प्रदान कर पुस्तकालय के विकास में योगदान दिया है, उनमें प्रमुख रूप से

निर्मोद बर्णवाल, कुमुद रंजन सिन्हा, लीना शर्मा, सोनम गुप्ता, प्रीति गुप्ता, सूरज दास, डॉ. हरिनारायण तिवारी, नारायण साह, ब्रजेश कुमार, अमित कुमार, अरविंद पत्रलेख, दिवास पत्रलेख, प्रकाश गुप्ता, बालानंद झा, केनेथ टोप्पो, गौरव बर्मा, धर्मबीर राउत, सुजय राजहंस सहित कई नाम शामिल हैं।

 

 

 

 

आयोजन समिति ने की उपस्थिति की अपील

 

आयोजन समिति ने सभी सहयोगकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आमजनों से अधिकाधिक संख्या में उपस्थित होकर स्थापना दिवस समारोह को सफल बनाने की अपील की है। समिति का कहना है कि यह कार्यक्रम केवल एक पुस्तकालय का उत्सव नहीं, बल्कि ग्रामीण शिक्षा के सशक्तिकरण का प्रतीक है।

 

 

 

Baba Wani
Author: Baba Wani

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