
जन्म–मृत्यु पंजीकरण में लापरवाही बर्दाश्त नहीं: नगर आयुक्त रोहित कुमार सिन्हा
नगर निगम सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण, निजी संस्थानों को समयबद्ध रिपोर्टिंग की सख्त हिदायत
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देवघर नगर निगम में जन्म–मृत्यु पंजीकरण को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित। नगर आयुक्त रोहित कुमार सिन्हा ने निजी संस्थानों को समय पर रिपोर्टिंग और लापरवाही न बरतने की सख्त चेतावनी दी।
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देवघर। देवघर नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, समयबद्ध एवं प्रभावी बनाने के उद्देश्य से मंगलवार को नगर निगम सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर आयुक्त सह प्रशासक रोहित कुमार सिन्हा ने की। इस प्रशिक्षण में नगर निगम कर्मियों के साथ-साथ निजी अस्पतालों एवं अन्य निजी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
समयबद्ध पंजीकरण पर विशेष जोर
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नगर आयुक्त रोहित कुमार सिन्हा ने स्पष्ट कहा कि जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र केवल एक औपचारिक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह नागरिकों के जीवन से जुड़ा अत्यंत महत्वपूर्ण अभिलेख है। इसका उपयोग शिक्षा में नामांकन, आधार व पहचान पत्र, पासपोर्ट, सरकारी योजनाओं का लाभ, पेंशन, बीमा सहित अनेक कार्यों में होता है।
उन्होंने कहा कि प्रमाण पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर लापरवाही आम नागरिकों के लिए गंभीर समस्या बन सकती है, इसलिए इसमें पूरी सतर्कता और जिम्मेदारी आवश्यक है।
निजी संस्थानों को सख्त चेतावनी
नगर आयुक्त ने निजी संस्थानों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि जन्म एवं मृत्यु की घटनाओं की रिपोर्टिंग में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि आम लोगों को प्रमाण पत्र प्राप्त करने में अनावश्यक चक्कर न लगाने पड़ें और न ही किसी प्रकार की असुविधा हो।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम एवं संबंधित संस्थान अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप समयसीमा के भीतर जानकारी देना सुनिश्चित करें।
पंजीकरण की समय-सीमा की दी गई विस्तृत जानकारी
प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों द्वारा जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी गई। बताया गया कि—
जन्म या मृत्यु की घटना की सूचना 21 दिनों के भीतर नगर निगम के निबंधक को देना अनिवार्य है।
21 से 30 दिनों के भीतर सूचना देने पर विलंब शुल्क के साथ निबंधन किया जाता है।
30 दिनों से एक वर्ष से कम अवधि के मामलों में सांख्यिकी पदाधिकारी की स्वीकृति आवश्यक होती है।
एक वर्ष से अधिक पुराने मामलों में अनुमंडल पदाधिकारी या उनके द्वारा नामित कार्यपालक दंडाधिकारी की स्वीकृति के बाद ही निबंधन किया जाता है।

बच्चों के बिना नाम पंजीकरण की सुविधा
मौके पर सहायक नगर आयुक्त सह रजिस्ट्रार जन्म–मृत्यु, देवघर नगर निगम ने जानकारी दी कि बच्चों का बिना नाम के भी 12 माह तक निःशुल्क पंजीकरण किया जाता है।
उन्होंने बताया कि यदि किसी कारणवश बच्चे का नाम जन्म के समय दर्ज नहीं हो पाया हो, तो बाद में नगर निगम कार्यालय में निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवेदन देकर बच्चे का नाम जोड़ा जा सकता है।
फर्जीवाड़े से बचने की अपील
अधिकारियों ने नागरिकों एवं निजी संस्थानों से अपील की कि जन्म–मृत्यु पंजीकरण में किसी भी प्रकार का फर्जीवाड़ा न करें। गलत या अपूर्ण जानकारी भविष्य में बच्चों एवं परिजनों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 21 दिनों के भीतर आवेदन जमा करने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता, जिससे नागरिक बिना किसी आर्थिक बोझ के प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं।
सांख्यिकी पदाधिकारियों ने साझा की तकनीकी जानकारियां
प्रशिक्षण में सांख्यिकी कार्यालय से आए सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी कमलेश कुमार एवं अरविंद कुमार ने भी जन्म–मृत्यु पंजीकरण से संबंधित तकनीकी एवं व्यावहारिक पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन प्रक्रिया, दस्तावेजों की शुद्धता और रिपोर्टिंग में आने वाली समस्याओं के समाधान के बारे में जानकारी दी।
बड़ी संख्या में कर्मी व प्रतिनिधि रहे मौजूद
कार्यक्रम में नगर निगम के संबंधित कर्मी, निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम एवं अन्य निजी संस्थानों से आए प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे। सभी ने प्रशिक्षण को उपयोगी बताते हुए भविष्य में समयबद्ध एवं सही रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई।
निष्कर्ष:
देवघर नगर निगम द्वारा आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम जन्म–मृत्यु पंजीकरण व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ। नगर आयुक्त रोहित कुमार सिन्हा के स्पष्ट संदेश से यह साफ हो गया कि अब इस संवेदनशील कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी और नागरिकों की सुविधा सर्वोपरि रहेगी।







