मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय सारवां को 51 हजार रुपये का गुप्त दान, 19 दिसंबर को नए आधुनिक भवन का होगा उद्घाटन

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मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय सारवां को 51 हजार का गुप्त दान | 19 दिसंबर को नए पुस्तकालय भवन का उद्घाटन

 

 

 

 

 

सारवां स्थित मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय को जन्मदिन पर 51,000 रुपये का गुप्त दान। 19 दिसंबर को आधुनिक पुस्तकालय भवन व अध्ययन कक्ष का उद्घाटन होगा।

 

 

 

 

 

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मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय सारवां को 51 हजार रुपये का गुप्त दान, 19 दिसंबर को नए आधुनिक भवन का होगा उद्घाटन

 

Sunil Jha | Deoghar

 

 

 

 

परिचय

 

देवघर जिले के सारवां स्थित मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय को समाज में शिक्षा और सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक बड़ा सहयोग मिला है। शुक्रवार, 12 दिसंबर को एक सहृदय स्थानीय व्यक्ति ने अपने जन्मदिन के अवसर पर पुस्तकालय को 51,000 रुपये का गुप्त दान प्रदान किया। इस उदार योगदान के बाद पुस्तकालय समिति ने दानदाता के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया है और इसे पुस्तकालय विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है।

 

 

 

 

गुप्त दान: शिक्षा संवर्धन की सराहनीय पहल

 

पुस्तकालय अध्यक्ष रंजन गुप्ता ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर शिक्षा संसाधनों के विस्तार के लिए ऐसे सहयोग अत्यंत प्रेरणादायी हैं। दानदाता ने अपनी पहचान सार्वजनिक न करने की इच्छा जताई है, जिसे पुस्तकालय परिवार ने सम्मानपूर्वक स्वीकार किया।

दान का उपयोग पुस्तकालय के अध्ययन कक्ष, पुस्तक संग्रह एवं डिजिटल संसाधनों के उन्नयन में किया जाएगा, जिससे सैकड़ों विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा।

 

 

 

 

15वां स्थापना दिवस 19 दिसंबर को

 

पुस्तकालय 19 दिसंबर को अपना 15वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। इस मौके पर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तावित हैं, जिनमें—

 

1. नए पुस्तकालय भवन का उद्घाटन

 

पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख की विधायक निधि से निर्मित आधुनिक भवन का लोकार्पण इसी दिन होगा।

 

2. आधुनिक अध्ययन कक्ष

 

नवीनतम सुविधाओं से सुसज्जित अध्ययन कक्ष का शुभारंभ किया जाएगा, जिससे ग्रामीण छात्रों को शहर जैसी पढ़ाई की सुविधा मिल सके।

 

3. स्थापना शाखा (मदर यूनिट) का नया स्वरूप

 

पुस्तकालय की मूल इकाई को आधुनिक रूप में पुनर्स्थापित किया जा रहा है, जिसका अनावरण भी उसी दिन किया जाएगा।

 

 

 

 

समाजसेवी व पेशेवरों का निरंतर सहयोग

 

मुंशी प्रेमचंद ग्रामीण पुस्तकालय वर्षों से समाज के जागरूक नागरिकों और प्रवासी पेशेवरों के सहयोग से आगे बढ़ रहा है। हाल के समय में कई महत्वपूर्ण दान प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं—

 

सबसे बड़ा व्यक्तिगत योगदान – ₹3,51,000

 

सारवां की लीला देवी द्वारा अपने दिवंगत पति मुरलीधर गुप्ता की पुण्य स्मृति में ₹3,51,000 का दान पुस्तकालय के विकास में अब तक का सबसे बड़ा व्यक्तिगत सहयोग माना जाता है।

 

 

 

 

अन्य प्रमुख दानदाता व सहयोगकर्ता

 

रोहित मांझी, कार्यकारी अभियंता, JBVNL – ₹21,000

 

आर्यन कुमार, डिविजनल S&T इंजीनियर, हावड़ा – ₹11,000

 

आयुष आनंद गुप्ता, जोमैटो – ₹11,000

 

रजत आनंद झा, इंडियन ऑयल – ₹11,000

 

संदीप राव, तंजानिया – ₹5,100

 

अरुण कुमार, कस्टम अधिकारी – ₹5,100

 

राजेश रंजन, असिस्टेंट प्रोफेसर, IIT कानपुर – ₹5,100

 

प्रदीप वर्मा, एमडॉक – ₹5,100

 

सुधांशु शेखर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, हैदराबाद – ₹5,100

 

 

इसके अतिरिक्त भी कई पेशेवर लगातार सहयोग कर रहे हैं, जिनमें—

निशांत पत्रलेख, रमेश कुशवाहा (कोल इंडिया), आशीष चौहान (DVC), ऋषभ गुप्ता (EXL), प्रवीण सेवक (नेशनल इंश्योरेंस), राजीव पांडेय (शिक्षक), संजय गुप्ता (प्रसार भारती), मुकेश गुप्ता (बजाज एलायंज), राहुल गुप्ता (NTPC), आकाश बर्णवाल (कोल इंडिया), अमित शाह (जालंधर) शामिल हैं।

 

 

 

 

पुस्तकालय ग्रामीण शिक्षा का मजबूत स्तंभ

 

समिति ने बताया कि दानदाताओं के सहयोग से पुस्तकालय निरंतर सशक्त हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में—

 

गुणवत्तापूर्ण अध्ययन के लिए शांत व आधुनिक कक्ष

 

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु प्रासंगिक साहित्य

 

डिजिटल संसाधनों का विस्तार

 

युवाओं के लिए कैरियर उन्मुख पुस्तकें

 

 

तेजी से उपलब्ध हो पा रही हैं।

 

पुस्तकालय परिवार का कहना है कि शिक्षा के प्रति जागरूकता तभी बढ़ेगी जब अधिक लोग इस अभियान से प्रत्यक्ष–अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ेंगे।

 

 

 

 

पुस्तकालय का संदेश: सहयोग से ही बनेगी ज्ञान की संस्कृति

 

पुस्तकालय समिति ने सभी सहयोगकर्ताओं के प्रति आभार जताते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की बेहतरी के इस अभियान को आगे बढ़ाने में हर सहायता महत्वपूर्ण है। गुप्त दानदाता का योगदान इस मुहिम को नई ऊर्जा प्रदान करता है।

 

स्थापना दिवस की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों, विद्यार्थियों एवं विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति अपेक्षित है।

 

 

 

Baba Wani
Author: Baba Wani

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